नामामी गंगे योजना से बदली गांवों की तस्वीर, 24,576 गांवों में पहुंचा शुद्ध नल जल, लाखों को मिला लाभ
Namami Gange Yojna: उत्तर प्रदेश के 24,576 गांवों में हर घर में शुद्ध पेयजल की सुविधा अब उपलब्ध है, जिससे 4.86 करोड़ ग्रामीणों की जीवनशैली बेहतर हुई है. इस पहल से स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं.
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Namami Gange Yojna: उत्तर प्रदेश के गांवों में अब नल से शुद्ध पेयजल कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है. राज्य के 24,576 गांवों के सभी घरों में अब 100 प्रतिशत नल जल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. यह परिवर्तनकारी पहल नमामी गंगे और ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग के प्रयासों से संभव हो पाया है.
सिर्फ पानी नहीं, ये बदलाव है
उत्तर प्रदेश के 24,576 गांवों में अब हर घर में साफ और शुद्ध पेयजल की सुविधा दी जा रही है. यह बदलाव 4.86 करोड़ ग्रामीणों की जिंदगी में एक नए युग की शुरुआत जैसा है. अब तक 79 लाख से अधिक परिवारों को नल से जल का सीधा लाभ मिला रहा है, जिससे उनका जीवन पहले से कहीं बेहतर और स्वस्थ हो चुका है. यह केवल एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह उनके सम्मान और स्वास्थ्य की भी गारंटी बन चुका है. अब लोग बीमारियों से कम जूझते हैं, महिलाएं समय की बचत कर अपने परिवार या खुद के विकास में योगदान दे पा रही हैं, और युवा अपने गांव में ही सम्मानजनक काम पाकर आत्मनिर्भर हो रहे हैं.
रोज़गार का नया रास्ता भी खोला
इस योजना ने गांवों में रोज़गार की लहर भी चला दी है. हर गांव में 5 महिलाएं नल कनेक्शन के काम में लगी हैं, वहीं 13 युवाओं को प्लंबर, फिटर और इलेक्ट्रिशियन के रूप में ट्रेनिंग और नौकरी मिल रही है। यानी हर गांव में 18 लोग अब आत्मनिर्भर बन चुके हैं. प्रदेश भर में हज़ारों युवाओं को नया जीवन मिला है.
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मिर्जापुर बना रोल मॉडल
अगर कोई पूछे कि कौन सबसे आगे है, तो जवाब होगा—मिर्जापुर, जहां 1,769 गांव जल से जगमगा रहे हैं.
इसके बाद नजर डालिए इन जिलों पर:
गोरखपुर – 1,372 गांव
कुशीनगर – 693 गांव
हरदोई – 651 गांव
प्रयागराज – 639 गांव
ललितपुर – 603 गांव
गाज़ीपुर – 579 गांव
देवरिया – 574 गांव
शाहजहांपुर – 567 गांव
बस्ती – 553 गांव
क्या है नमामी गंगे?
नमामी गंगे एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसे भारत सरकार ने गंगा नदी की सफाई और पुनरुद्धार के लिए शुरू किया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के पानी को प्रदूषण से मुक्त करना और नदी के किनारे बसे समुदायों को स्वच्छ जल की सुविधा प्रदान करना है. यह योजना साल 2014 में शुरू की गई थी.
नमामी गंगे सिर्फ नदी सफाई का मिशन नहीं है, यह एक समाज सुधार की लहर बन चुकी है, जो हर गांव तक पहुंच चुकी है. शुद्ध पानी ने न केवल बीमारियों से बचाव किया है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया है और युवाओं को विभिन्न हुनरों में प्रशिक्षित किया है.
(इस खबर को हमारे साथ इंटर्नशिप कर रही चाहत ने संपादित किया है.)