अखिलेश के चीते वाले ट्वीट पर केशव मौर्य ने किया पलटवार, बोले- बिल्ली मौसी भौंक नहीं सकती

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पीएम मोदी के जन्मदिन पर देश में चीते के आने पर अखिलेश यादव ने इसे लेकर इशारों इशारों इस चर्चा को अलग हवा देने की कोशिश की. हालांकि ये दांव उनका उल्टा पड़ गया. अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘सबको इंतज़ार था दहाड़ का… पर ये तो निकला बिल्ली मौसी के परिवार का.’ इस वीडियो में चीता आवाज निकालता देखा जा सकता है और अखिलेश बिना नाम लिए पीएम मोदी पर तंज कसते नजर आ रहे हैं.

इधर इस ट्वीट के जवाब में पलटवार करते हुए प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा- ”भैंस रंभाती है’। गाय भी रंभाती है। शेर दहाड़ता है। बाघ गुर्राता है। चीता भी गुर्राता है। तेंदुआ कुत्ता तो भौंकता ही है। बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करती है। हरेक प्राणी की अपनी प्राकृतिक आवाज़ होता है। अब बिल्ली मौसी भौंक तो नहीं सकती।”

अखिलेश और केशव प्रसाद का वार-पलटवार तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा चर्चा में रहती है. हालांकि इस ट्वीट में अखिलेश खुद ही ऐसी गलती कर बैठे जिससे वो ट्रोल हो गए. दरअसल अखिलेश के ट्वीट से ऐसा लगा कि उनको चीते की दहाड़ का इंतजार था पर चिते दहाड़ते नहीं हैं.

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नेशनल जियोग्राफिक की वेबसाइट पर भी चीते के बारे में फैक्ट्स बताए गए हैं. इसमें भी लिखा गया है कि शेर, बाघ, तेंदुए की तरह चीता Roar (दहाड़) नहीं करते बल्कि Purr (बिल्ली जैसे म्याऊं या घुरघुराहट वाली आवाज) करते हैं. इस आर्टिकल को यहां क्लिक कर विस्तार से पढ़ा जा सकता है.

यहां जानिए चीते के बारे में कुछ फैक्ट

पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में चीते के बारे में विस्तार से बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है लेकिन वह आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता. यह रफ्तार कितनी ज्यादा है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि दुनिया के सबसे तेज धावक और ओलंपिक चैम्पियन उसेन बोल्ट का 100 मीटर की स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड 9.89 सेकंड है.

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नामीबिया स्थित गैर लाभकारी ‘चीता कंजर्वेशन फंड’ (सीसीएफ) के मुताबिक चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं. इसने कहा कि उनके पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं.

दिल्ली चिड़ियाघर के रेंज अधिकारी सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि चीते दिन के दौरान सक्रिय रहते हैं और वे सुबह तथा दोपहर में देर तक शिकार करते हैं. उन्होंने कहा कि चीता अक्सर जंगली प्रजातियों का शिकार करता है और घरेलू जानवरों का शिकार करने से बचता है, हालांकि बीमार या घायल और बूढ़ा या युवा या गैर अनुभवी चीता घरेलू मवेशियों को भी शिकार बना सकता है.

चीता अपना ज्यादातर वक्त सोते हुए बिताता है और दिन में अत्यधिक गर्मी के दौरान बहुत कम सक्रिय रहता है। शेर, बाघ, तेंदुए और जगुआर के मुकाबले चीते दहाड़ते नहीं हैं. मादा चीते की गर्भावस्था महज 93 दिन की होती है और वह छह शावकों को जन्म दे सकती हैं.

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