हरदोई: तहसील भवन के चौथी मंजिल पर चढ़ गए दो सांड, 24 घंटे बाद किसी तरह हुआ रेस्क्यू

प्रशांत पाठक

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक तहसील भवन में सरकारी कर्मचारियों के लिए बने आवास की चौथी मंजिल पर दो सांड़ चढ़ गए. सांडों…

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उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक तहसील भवन में सरकारी कर्मचारियों के लिए बने आवास की चौथी मंजिल पर दो सांड़ चढ़ गए. सांडों के चौथी मंजिल पर चढ़ने की जानकारी काफी देर बाद लोगों को हुई. जिसके बाद तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में तहसील और पशु विभाग के लोगों ने सांडों को उतारने का प्रयास किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. करीब 24 घंटे बाद पशु विभाग के लोगों ने हाइड्रा मशीन के जरिए चौथी मंजिल पर चढ़े सांडों का किसी तरह रेस्क्यू कराया है. सवायजपुर तहसील का मामला है.

बुधवार को सरकारी कर्मचारियों के लिए बने आवास की चौथी मंजिल पर 2 सांड चढ़ गए. काफी देर बाद जब लोगों को चौथी मंजिल पर सांड चढ़े हुए दिखाई दिए, तो पूरे तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में तहसील कर्मियों और पशु विभाग के लोगों ने सांडों को किसी तरह जीने से उतारने का प्रयास किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली, तो रात में ही पानी और भूसे का प्रबंध सांड के लिए छत पर किया गया.

गुरुवार सुबह पशुपालन विभाग ने हाइड्रा मशीन के जरिए चौथी मंजिल पर चढ़े साढ़ों को उतारने का जिम्मा सौंपा. एक सांड को तो सीढ़ी के रास्ते नीचे उतार लिया गया, लेकिन उसके बाद दूसरा सांड जब नहीं उतारा जा सका तो आज मौके पर पहुंची हाइड्रा मशीनों के जरिए चौथी मंजिल पर चढ़े हुए सांड को किसी तरह बांधकर रेस्क्यू किया गया है.

गौरतलब है कि आवारा गोवंश को पशु आश्रय स्थल पर पहुंचाए जाने की मॉनिटरिंग का जिम्मा तहसीलों में कार्यरत एसडीएम का है, लेकिन सरकार के आदेशों का तहसीलों में तैनात अधिकारी कितना पालन करते हैं, यह तहसील के अंदर ही चौथी मंजिल पर चढ़े सांड ने खुद ही साबित कर दिया.

हरदोई के डिप्टी सीवीओ डॉ आरबी शर्मा ने बताया कि यह सरकारी बिल्डिंग है. इस पर सांड चढ़े हुए थे. हमने मौके पर देखा. उसके बाद फायर ब्रिगेड वाली टीम से भी कांटेक्ट किया गया. उनको भी बुलाया गया. पहले हमारी प्राथमिकता यह थी कि जैसे भी हो सुरक्षित जीने के रास्ते से उतर के आ जाए, पैदल कम से कम चोट लगे और बेहोश न करना पड़े, लेकिन सांड आने को तैयार नहीं थे. उसके बाद रात हो गई तो इनके चारे-पानी की व्यवस्था छत पर ही करवा दी थी, जिससे यह भूखे ना रहे. आज सुबह लगभग 9 बजे जाकर दोबारा प्रयास किया गया तो एक सांड को तो हमने जीने के रास्ते पैदल ही सुरक्षित निकाल लिया. दूसरे सांड को निकालने में दिक्कत आ रही थी तो उसको रूपापुर चीनी मिल से हाइड्रा मंगाया गया और क्रेन के द्वारा उसको लिफ्ट करके निकाला है, बिल्कुल सुरक्षित निकाल लिया है. दोनों सांड होश में हैं.

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