चाहता था बेटी का शरीर कुछ देर और घर में रहे…श्रेया यादव के पिता ने कही रुलाने वाली बात

आयुष अग्रवाल

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Shreya Yadav
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UP News: श्मशान में गंगा किनारे जल रही 25 साल की होनहार श्रेया की चिता और सामने बैठा श्रेया यादव का परिवार…ये नजारा देख अंबेडकर नगर जिले में श्रेया के पैतृक गांव स्थित श्मशान में मौजूद हर कोई भावुक हो गया. जिस बेटी को पिता ने पाल-पोस कर बड़ा किया, उसके सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया, वह खामोश होकर अपनी उसी बेटी की चिता को जलते हुए देख रहे थे. वहां श्रेया का भाई अभिषेक भी था, जो बहन के साथ बचपन में बिताए पलों को याद कर अंदर ही अंदर रो रहा था. पिता-बेटे के चेहरे पर जो सन्नाटा दिख रहा था, उस देख उनके अंदर चल रहे दुख के चित्कारों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था. बराबर में श्रेया के वह चाचा भी थे, जिन्होंने अपनी भतीजी का एडमिशन खुद दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के RAU'S IAS स्टडी सेंटर में करवाया था और वह लोकल गार्जियन बनकर दिल्ली में श्रेया का ख्याल रख रहे थे. मगर जब काल आया तो कोई कुछ नहीं कर सका.    

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के RAU'S IAS स्टडी सेंटर में जो घटना घटी, उसका जिम्मेदार कौन है? फिलहाल इस परिवार को इससे कोई मतलब नहीं है. फिलहाल परिवार इस बात को हजम ही नहीं कर पा रहा है कि उनकी प्यारी और होनहार श्रेया अब इस दुनिया में नहीं रही और जिस कोचिंग सेंटर में उसे परिवार ने पढ़ने भेजा था, उसी की लाइब्रेरी में डूबकर उसकी मौत हो गई. 

श्रेया का भाई अभिषेक

UP Tak की टीम ने श्मशान पर बैठे श्रेया के परिवार से बात की. बात को हमारी टीम ने श्रेया के मां से भी की. मगर मां फिलहाल कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. मगर श्रेया के पिता और भाई ने अपना दर्द हमारे सामने बयां किया. इस दौरान श्रेया के पिता ने कुछ ऐसा कहा, जिसको जानकर उनके इस महादुख का अंदाजा आसानी से पता लगाया जा सकता है. श्रेया के पिता और श्रेया का परिवार किस दर्द में जी रहा है, क्या महसूस कर रहा है, ये बात सिस्टम में बैठे लोगों को भी पता चलनी चाहिए, जिससे आगे कोई श्रेया इस तरह से दुनिया को विदा ना करें और कोई पिता अपनी बेटी के लिए ये दर्दभरी बात नहीं कहे. 

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श्रेया के पिता बेटी के शव को घर में थोड़ी देर रखना चाहते थे…

श्रेया के पिता ने कहा कि वह चाहते थे कि उनकी बेटी थोड़ी देर घर में और रहे. वह चाहते थे कि बेटी का शव थोड़ी देर घर में और रखा जाए. श्रेया के पिता का कहना था कि उन्हें पता था कि उन्हें ही बेटी की अंत्येष्टि करनी है. ये तो होना ही है. मगर फिर भी वह चाहते थे कि शव घर में थोड़ी देर के लिए और रहे, जिससे वह अपनी बेटी का चेहरा देख पाए. अब उसका चेहरा कभी देखने को नहीं मिलेगा. इ दौरान श्रेया के पिता ने ये भी कहा कि उनके सामने उनकी बेटी का चेहरा बार-बार सामने आ रहा है.   
 

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