सपा सांसद के बयान के बाद बाबर और राणा सांगा पर शुरू हुआ विवाद, इतिहास क्या कहता है?

आयुष अग्रवाल

UP News: राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था. वह मेवाड़ के शासक थे. भारतीय इतिहास में राणा सांगा का बड़ा नाम है. सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने दावा किया है कि राणा सांगा ने बाबर को भारत में बुलाया था. अब जानिए बाबर और राणा सांगा को लेकर इतिहास में क्या दर्ज है?

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‘बाबर को लाया कौन था? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबा को राणा सांगा लाया था. मुसलमान अगर बाबर की औलाद हैं तो तुम लोग उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हो. बाबर की आलोचन करते हो.मगर राणा सांगा की नहीं.’ 

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर जब से बयान दिया है, तभी से सियासत गरमा गई है और विवाद गहरा गया है. हिंदू संगठन और राजपूत-क्षत्रिय समाज के लोग सपा सांसद के बयान पर भड़के हुए हैं. राजस्थान से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई प्रदेशों की सियासत गरमाई हुई है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को लेकर दिए गए बयान का समर्थन कर दिया है. दूसरी तरफ भाजपा इस मामले को लेकर सपा पर हमलावर है और इसे हिंदुओं का अपमान बता रही है.

ऐसे में सवाल ये है कि आखिर इस मामले को लेकर इतिहास क्या कहता है? इतिहास में राणा सांगा और बाबर को लेकर क्या दर्ज है? इसके लिए सबसे पहले हमने गूगल पर उपलब्ध जानकारी की सहायता ली. सबसे पहले हमें National Council of Educational Research and Training यानी NCERT की क्लास-11 की इतिहास की किताब Medieval India By Satish Chandra मिली. ये ओल्ड NCRT की किताब थी. इसमें भी बाबर और राणा सांगा का जिक्र किया गया था.

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ओल्ड NCERT में क्या लिखा गया है?

ओल्ड NCERT की क्लास-11 की किताब  Medieval India By Satish Chandra के चैप्टर Struggle For Empire in North India के पेज नंबर-127 में लिखा गया है कि दौलत खान लोधी ने बाबर को बुलाया था. उसने उस दौरान दिल्ली पर शासन कर रहे इब्राहीम लोधी को हटाने के लिए बाबर को बुलाया था. आगे लिखा हुआ है, ‘ शायद इस दौरान राणा सांगा ने भी बाबर को भारत आने के लिए प्रस्ताव भेजा था.’ बता दें कि यहां भी ‘शायद’ लिखा हुआ है. 

आप ओल्ड एनसीआरटी की ये पीडीएफ पढ़ सकते हैं.

https://edkt.net/2empr/Medieval-India-Satish-Chandra-1561959855847.pdf  

न्यू NCERT में क्या दर्ज है?

जब हमने न्यू NCERT को देखा तो उसमें बाबर के भारत आने को लेकर विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी. इस किताब में इस विवाद को लेकर कुछ नहीं लिखा हुआ है.

आप न्यू एनसीआरटी की ये पीडीएफ पढ़ सकते हैं

https://ncert.nic.in/textbook/pdf/gess104.pdf 

अभी तक हमें इस पूरे विवाद पर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. ऐसे में हमने इतिहासकार से ही बात करना सही समझा. आखिर इतिहास में राणा सांगा और बाबर को लेकर क्या दर्ज है? इस बार हमने ये सवाल मेवाड़ के इतिहास विशेषज्ञ और महाराणा प्रताप पर पीएचडी करने वाले प्रो. चंद्रशेखर से पूछे. जानिए उन्होंने क्या कहा?

इतिहास में राणा सांगा और बाबर

मेवाड़ के इतिहास के विशेषज्ञ और महाराणा प्रताप पर पीएचडी करने वाले प्रो. चंद्रशेखर ने इस मामले पर काफी कुछ जानकारी दी. उन्होंने बताया, आत्मकथा कभी कोई प्राइमरी सोर्स नहीं रहा है. उसे प्राइमरी सोर्स के लिए नहीं लिखा जाता. समकालीन इतिहास में बाबरनामा के अलावा किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज में कोई जिक्र नहीं है कि राणा सांगा ने बाबर को बुलाया था. 

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने आगे बताया, समकालीन इतिहास में मोहम्मद कासीम द्वारा लिखी गई तारीख ए फरिश्ता किताब हमें मिलती है. उसमें भी इस तरह का कोई रेफ़रेंस नहीं हैं. हुमायूंनामा, अबुल फजल की अकबरनामा यहां तक की हुमायूं के भाई मिर्जा हैदर की लिखी किताब में भी इसका कोई वर्णन नहीं है. 

हिमायूं की बहन और बाबर की बेटी गुलबदन बेगम ने हुमायूंनामा लिखा है. इसमें बाबर की पूरी गाथा है और उसकी यात्राओं और युद्धों का पूर्ण वर्णन है. मगर इसमें भी राणा सांगा के प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है.

‘बाबर ने खुद मदद मांगी थी’

प्रोफेसर चंद्रशेखर कहते हैं, मेवाड़ की सारी पांडुलिपि मौजूद हैं. उसमें लिखा है कि बाबर ने मेवाड़ को खुद प्रस्ताव दिया था और मेवाड़ से सहायता मांगी थी. बाबर ने अपना दूत मेवाड़ भेजा था. बाबर की तरफ से आए प्रस्ताव में लिखा गया था कि वह मेवाड़ से सहायता चाहता है. 

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने आगे बताते है, बाबर के प्रस्ताव पर मेवाड़ में राणा सांगा ने युद्ध परिषद की बैठक बुलाई. पांडुलिपि में ये भी दर्ज है कि मेवाड़ की युद्ध परिषद में कहा गया कि सांप को दुध पिलाना बेकार है. असलियत में प्रस्ताव तो बाबर की तरफ से राणा सांगा को दिया गया था. राणा सांगा की बाबर से कोई वार्तालाप कभी नहीं हुई. 

‘इब्राहीम लोधी को खुद राणा सांगा ने कई बार हराया’

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने आगे बताया, जिस इब्राहीम लोधी को राणा सांगा ने खुद हरा दिया था, उसको हराने के लिए वो बाबर की सहायता क्यों मांगेगे? लोधी को सांगा ने कई बार हराया है. वह आगे कहते हैं, यहां ये भी ध्यान देने वाली बात है कि बाबर उस समय ऐसी कोई बड़ी ताकत नहीं था, जिससे मदद मांगी जाए. उसके पास कोई बड़ा साम्राज्य नहीं था. जबकि राणा सांगा बड़े साम्राज्य के मालिक थे.

‘बाबरनामा में कई विरोधाभास हैं’

प्रोफेसर चंद्रशेखर आगे बताते हैं, बाबरनामा में एक तरफ बाबर भारतीयों को लेकर काफी कुछ उल्टा सीधा लिखता है तो दूसरी तरफ ये भी कहता है कि उसके दुखों का अंत भारत में ही होगा. वह भारतीयों को गंदा कहता है, जबकि उस समय यहां बड़े-बड़े साम्राज्य मौजूद थे. बाबरनामा में कई विरोधाभास हैं.

‘बाबरनामा में राणा सांगा को काफिर कहा गया’

प्रोफेसर चंद्रशेखर कहते हैं, बाबरनामा में लिखा है कि बाबर जब राणा सांगा से सहायता प्राप्त नहीं कर सका तो उसने राणा सांगा को काफिर तक बोला. बाबर ने 5 बार हमला किया, जिसमें 4 में उसे हार मिली. 5वें हमले में वह विजयी हुआ. तथ्य तो ये है कि बाबर को मदद की दरकार थी. प्रस्ताव उसकी तरफ से भेजे गए थे. बाबर ने अपना दूत खुद मेवाड़ भेजा था. 

प्रोफेसर चंद्रशेखर शर्मा कहते हैं कि कोई भी अपनी आत्मकथा में कुछ भी लिख सकता है. मगर उसे प्रमाणित समकालीन लिखा हुआ इतिहास करता है. हमारे पास कई प्रमाणिक समकालीन इतिहास के दस्तावेज हैं, जिसमें ‘राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था’ इसका कही कोई जिक्र नहीं है. जहां तक बात है बाबरनामा की तो वह तो ये लिखता है कि राणा सांगा काफिर हैं और उसे सजा मिलेगी.

प्रोफेसर चंद्रशेखर अपनी बात के समर्थन में समकालीन इतिहास की इस पुस्तकों का जिक्र करते हैं.

  • 1- तारीख ऐ फरिश्ता
  • 2- अबुल फजल की अकरबनामा
  • 3 तारीख ए रशीदी (हुमायूं के भाई मिर्जा हैदर)
  • 4-हुमायूं नामा (बाबर का पूरा इतिहास)

राणा सांगा ने बाबर को प्रस्ताव भेजा या बाबर ने राणा सांगा को प्रस्ताव भेजा, इसको लेकर इतिहासकारों में गहरे मतभेद हैं. इतिहासकारों में इसको लेकर कोई एकराय नहीं है. सवाल ये भी पैदा होता है कि जिस इब्राहीम लोधी को राणा सांगा ने खुद कई बार युद्धों में हराया था, वह क्यों उसे हराने के लिए बाबर की मदद लेंगे? इतिहासकारों का कहना है कि बाबरनामा के अलावा किसी भी समकालीन ऐतिहासिक दस्तावेज में इसका उल्लेख नहीं है. फिलहाल ये विवाद देश में छाया हुआ है.

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