महिलाओं के लिए नजीर बनीं अंजनी, अपने दम पर बनवाए 200 से ज्यादा टॉयलेट्स, जानें उनकी कहानी
कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश…
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कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले की रहने वालीं महिला अंजनी मल्लाह ने. नारी सशक्तिकरण का पर्याय बन चुकीं अंजनी ने अपनी कोशिश के चलते अब तक 200 से ज्यादा शौचालय संत कबीर नगर और बस्ती जिले में बनवाएं हैं. निश्चित रूप से उनकी इस पहल से ग्रामीण महिलाओं को काफी लाभ मिला है. आपको बता दें कि अंजनी ने ये सभी शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाएं हैं. अपने इसी प्रयास के चलते अंजनी साल 2017 में संतकबीर नगर जिले की ब्रांड एम्बेस्डर बनाई गई थीं. इस बीच यूपी तक ने अंजनी से खास बातचीत की है. इस दौरान अंजनी ने अपने जीवन से जुड़े कई प्रसंग हमारे साथ साझा किए. आइए खबर में आगे विस्तार से जानते हैं अंजनी ने हमें क्या-क्या बताया.
कौन हैं अंजनी मल्लाह?
आपको बात दें कि उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले की रहने वालीं अंजनी मल्लाह का जन्म उत्तराखंड में हुआ था. अंजनी का सपना था कि वह बड़ी होकर सेना में जाएं और देश की सेवा करें. मगर अफसोस, हाइट कम होने की वजह से उनका ये सपना अधूरा रह गया. हालांकि उन्हें इस बात का इल्म कभी नहीं हुआ कि वह आगे चलकर ग्रामीण इलाकों में रह रहीं महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन जाएंगी.
फिर अंजनी ने उठाया ये बीड़ा
बता दें कि अंजनी के पिता सिंचाई विभाग में सरकारी नौकरी करते थे. पिता के रिटायरमेंट के बाद अंजनी परिवार के साथ अपने गांव रानीपुर (बस्ती) आ गईं. गांव में शौचालय ना होने की वजह से अंजनी अपनी मां और बहनों के साथ खुले में शौच के लिए जाती थीं. खुले में शौच के चलते वह काफी असहज महसूस करती थीं. इस दौरान अंजनी ने सरकारी दफ्तरों में टॉयलेट न होने की आवाज उठाई. इसके लिए उन्होंने पहले तो परिवार की महिलाओं को जमा किया, फिर वह धीरे-धीरे गांव की महिलाओं को भी साथ ले आईं. अंजनी चाहती थीं कि उनके गांव में शौचालय बनाए जाएं, ताकि महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना ना पड़े.
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डीएम ने ऐसे पूरी की मांग
बातचीत के दौरान अंजनी ने हमें बताया कि उन्होंने जब इस मुहिम की आवाज उठाई तो उन्हें समाज में काफी भला-बुरा बोला गया. मगर उनके इरादे मजबूत थे. इन सबकी परवाह किए बगैर अंजनी ने अपना संघर्ष जारी रखा. बता दें कि शौचालय बनाने के लिए अंजनी ने सबसे पहले शुरुआत गांव के बीडीओ तक बात पहुंचाकर की, लेकिन बात नहीं बनीं. इसके बाद अंजनी ने बस्ती जिले के डीएम ऑफिस का दरवाजा खटखटाया और उनकी मेहनत रंग लाई. इसके बाद उन्हें स्वच्छ भारत मिशन के तहत करीब 75 शौचालय बनवाने का मौका मिला.
ससुराल में भी शौचालय बनाने की लड़ी लड़ाई
अंजनी ने बताया कि जब वह शादी के बाद संत कबीर नगर गईं तो उन्हें ये लड़ाई फिर से शुरु करनी पड़ी. अंजनी के अनुसार, उनके ससुराल में भी शौचालय की समस्या के कारण गांव की महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था. इसके लिए अंजनी ने अपने ससुराल वालों की सहमति से डीएम कार्यालय पर धरना दिया. इसकी बदौलत अंजनी को स्वच्छ भारत मिशन के तहत 150 शौचालय बनवाने का मौका मिला.
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स्वच्छ भारत मिशन के तहत रह चुकी हैं ब्रांड एम्बेस्डर
बता दें कि अंजनी ने हमें बातचीत के दौरान बताया कि वह स्वच्छ भारत मिशन के तहत संत कबीर नगर जिले की ब्रांड एम्बेस्डर भी रह चुकीं हैं. वहीं, इसके अलावा उन्हें कई तरह के अवॉर्ड्स से भी नवाजा जा चुका है. अजंनी अभी भी समाज में कुछ बदलाव लाने के मकसद से काम कर रही हैं.
इन दिनों क्या कर रही हैं अंजनी?
अंजनी के मुताबिक, इन दिनों वह अगरबत्ती बनाने की मशीन घर में लगाकर गांव की कुछ महिलाओं को रोजगार भी देने का काम कर रही हैं. वहीं इस दौरान अपने बच्चों के बारे में बात करते हुए अंजनी ने कहा कि वह चाहती हैं कि उनके बच्चे उनका बचपन का सपना सेना में जाकर पूरा करें.
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अंजनी ने महिलाओं को दिया ये खास संदेश
अंजनी ने कहा कि महिलाओं को खुद को किसी से कम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि अब जमाना बदल गया है. उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी पर आश्रित न रहें. बकौल अंजनी, महिलाएं अपना वक्त इधर-उधर बर्बाद न करें बल्कि उसे सही जगह इस्तेमाल कर आत्मनिर्भर बनें.
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