मुख्तार अंसारी को जेल में चाहिए केला और लखनऊ के लजीज आम, पेशी में जज से की ये अपील

सैयद रेहान मुस्तफा

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बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी केला और लखनऊ का लजीज आम खाने को बेताब है. बाराबंकी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी के दौरान मुख्तार ने विशेष सत्र न्यायाधीश के सामने जेल में केला और लखनऊ का आम खाने की फरियाद लगाई. साथ ही कोर्ट में मुख्तार ने अपने वकील से भी बात करने के लिए जज से गुहार लगाई है.

मुख्तार ने कहा कि साहब, बांदा जेल में हमे अपने वकील से मिलने नहीं दिया जा रहा है. जब वह मिलने आते हैं तो हमारे लिए केले और लखनऊ के लजीज आम लेकर आते हैं.

मुख्तार ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को गलत बताया है. उसने अपने वकील रणधीर सिंह सुमन के जरिये एक प्रार्थना पत्र 197 सीआरपीसी का अनुपालन करवाए जाने के लिए कोर्ट में दिया है, जिस पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की है.

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मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बांदा ज़िले के अधिवक्ता नसीम हैदर भी मौजूद थे. उन्हें कोर्ट के आदेश के बावजूद भी बांदा जेल प्रशासन अपने क्लाइंट से मिलने नहीं दे रहा है, जिसपर कोर्ट ने जेल से रिपोर्ट तलब की है और मिलने की भी अनुमति दी है.

रणधीर सिंह सुमन ने आगे बताया कि मामले में 16 मई की अगली तारीख लगी है और आज ही अधीनस्थ कोर्ट एमपी-एमएलए 19 में भी एम्बुलेंस प्रकरण की तारीख लगी थी, लेकिन आज वहां के जज साहब छुट्टी पर थे, इसलिए अब 23 मई को सुनवाई होगी.

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एडवोकेट रणधीर सिंह ने बताया कि एक अर्जी गैंगेस्टर कोर्ट में दी गई है, जिसमें लिखा है कि विधायक को लोक सेवक माना गया है और उस पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है. लेकिन इस मुकदमे में अनुमति नहीं ली गई है.

वहीं, उन्होंने मुख्तार के फल मांगने की फरियाद पर कहा कि ये जेल प्रशासन की ड्यूटी है जो लोग जेल में बंद है. उन्हें बेहतर तरीके से रखे. न्यायिक अभिरक्षा का मतलब होता है न्यायालय के अधीन होना, इसलिए राज्य सरकार का दायित्व है कि उस व्यक्ति के खान-पान को लेकर कोई कष्ट न हो.

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