वाराणसी बम ब्लास्ट के दोषी की फांसी की सजा को जमीअत उलमा ए हिंद हाईकोर्ट में देगा चुनौती

संजय शर्मा

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गाजियाबाद की विशेष सेशन कोर्ट के जज जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत से सोमवार को मुफ्ती वलीउल्ला को सुनाई गई सजा ए मौत को जमीअत उलमा ए हिंद हाईकोर्ट में चुनौती देगा. संकट मोचन मंदिर और वाराणसी छावनी में सन 2006 में हुए सिरियल बम विस्फोट मामले के पकड़े गए एकमात्र आरोपी मुफ्ती वलीउल्लाह को विशेष कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है.

जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक मुफ्ती वलीउल्लाह का संबंध उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के नजदीकी फूलपूर से है. पिछले 10 वर्षों से वलीउल्लाह को जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से कानूनी सहायता दी जा रही थी. जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बम विस्फोट के एक मामले में गाजियाबाद सेशन कोर्ट से मुफ्ती को दी गई सजा पर कहा कि निचली अदालत के फैसले को वे हाईकोर्ट में चुनौदी देंगे.

मदनी ने कहा है कि हमें पूरा विश्वास है कि उच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा. ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों ने सजा दी मगर उच्च न्यायालय में चुनौती देने पर पूरा इंसाफ हुआ. इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले का मामला है. इसमें निचली अदालत ने मुफ्जी अब्दुल कय्यूम समेत तीन लोगों को फांसी और चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन जमीअत उलमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता के नतीजे में जब यह मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में आया तो सारे लोग बरी हुए. सुप्रीम कोर्ट ने बिना पर्याप्त सबूत के आरोपियों को आतंकवाद के इल्जाम में फंसाने पर गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी.

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