गीता प्रेस एक संपूर्ण आंदोलन है, अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार: वरुण गांधी

सौरभ पांडेय

पिछले कई महीनों से यूपी के पीलीभीत से बीजेपी सासंद वरुण गांधी (Varun Gandhi) अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हैं. अब बहुत दिनों बाद…

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पिछले कई महीनों से यूपी के पीलीभीत से बीजेपी सासंद वरुण गांधी (Varun Gandhi) अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हैं. अब बहुत दिनों बाद उन्होंने किसी काम को लेकर अपनी सरकार की सराहना की है.

दरअसल, गीता प्रेस को साल 2021 के लिए भारत सरकार की तरफ से गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष खासकर कांग्रेस के नेता सरकार की आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने इसका समर्थन किया है.

ट्विटर पर बीजेपी सांसद ने लिखा, “एक दूसरे की आस्था का परस्पर सम्मान ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान है. गीता प्रेस सिर्फ एक प्रकाशक नहीं, एक संपूर्ण आंदोलन है. जिसने गरीब से गरीब परिवार को उनके धर्म से उच्चस्तरीय भाषा में लिखी त्रुटिहीन पुस्तकों के माध्यम से जोड़ा. अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है.”

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एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए प्रदान किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुरस्कार जीतने पर गीता प्रेस को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की है. संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने का फैसला किया.

कांग्रेस ने साधा निशाना

बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को आरोप लगाया था कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला ‘मजाक’ है और यह ‘सावरकर और गोडसे’ को पुरस्कृत करने जैसा है.

बीजेपी ने किया पलटवार

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसके जवाब में कहा, ‘‘गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह की अवांछनीय और आपत्तिजनक टिप्पणी की है, हम उसकी निंदा करते हैं.’’

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