स्वामी प्रसाद मौर्य अपने साथ ले जाएंगे OBC वोट? क्या सोचती है BJP, क्या है उसका मेगा प्लान

11 जनवरी को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अब सत्तारूढ़ बीजेपी पर जमकर हमलावर नजर आ…

UpTak

UpTak

follow google news

11 जनवरी को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अब सत्तारूढ़ बीजेपी पर जमकर हमलावर नजर आ रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने 13 जनवरी को ट्वीट कर कहा, ”नाग रूपी आरएसएस और सांप रूपी बीजेपी को स्वामी रूपी नेवला यूपी से खत्म करके ही दम लेगा.”

यह भी पढ़ें...

कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद योगी मंत्रिमंडल से दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया है. उधर, बीजेपी के लिए आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इन नेताओं का ‘एसपी में स्वागत’ भी कर दिया है.

कुल मिलाकर यूपी में इस घटनाक्रम की वजह से ओबीसी वोटों की सियासत एक बार फिर काफी चर्चा में आ गई है. इस बीच कहा जा रहा है कि मौर्य और चौहान जैसे बड़े ओबीसी नेताओं के योगी सरकार से बाहर निकलने के बाद आगामी चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि ये नेता अब खुलकर सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा के आरोप लगा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के सोशल डिवीजन में ओबीसी की हिस्सेदारी 40 फीसदी के आसपास मानी जाती है. यह वर्ग किसी भी पार्टी/गठबंधन के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है. ऐसे में मौजूदा घटनाक्रम की वजह से सत्तारूढ़ बीजेपी से ओबीसी वोट छिटका तो पार्टी को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

बीजेपी का क्या रुख दिख रहा है?

मौजूदा घटनाक्रम की वजह से बीजेपी में अंदरखाने भले ही छटपटाहट हो, लेकिन ऊपरी तौर पर पार्टी अपने आत्मविश्वास को कम दिखाने के मूड में नहीं है.

ओबीसी की तेज सियासत के बीच बीजेपी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने 13 जनवरी को ट्वीट कर कहा है, ”ओबीसी समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जितना बीजेपी (सरकार) में मिला है, उतना किसी सरकार में नहीं मिला. हमारे लिए ‘P’ का अर्थ ‘पिछड़ों का उत्थान’ है. कुछ लोगों के लिए ‘P’ का अर्थ सिर्फ ‘पिता-पुत्र-परिवार’ का उत्थान होता है.”

इस बीच, यूपी तक ने उत्तर प्रदेश की मौजूदा ओबीसी सियासत को लेकर बीजेपी ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने मौर्य और चौहान के इस्तीफों को लेकर कहा, ”मैं इसको झटका नहीं मानता क्योंकि चुनावी समर में कुछ घटनाएं प्रत्याशित रहती हैं. कुछ असंतुष्ट लोग होते हैं, कुछ स्वार्थी लोग होते हैं, कुछ लोगों का लक्ष्य केवल राजनीतिक लाभ होता है, तो यह अदला-बदला होती ही है. इसका भारतीय जनता पार्टी पर किसी प्रकार का असर पड़ने वाला नहीं है.”

जब कश्यप से पूछा गया कि मौर्य और चौहान ने अपने इस्तीफा पत्रों में योगी सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया है, क्या चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी पर इसका असर नहीं पड़ेगा? तो उन्होंने कहा, ”ये जनरल लैंग्वेज लिखकर अपने आप को पेश करने का तरीका है क्योंकि सरकार पांच साल चली है. 5 साल मंत्री रहे हैं तो काम करने का पूरा अवसर मिला है. सरकार निष्पक्ष रही है, सरकार ने ईमानदारी से काम किया है. उनको ये पसंद न आया हो तो अलग बात हो सकती है.”

हालांकि, इसके आगे कश्यप ने बड़ी बात कह दी. उन्होंने कहा,

”उनके कुछ निजी कारण हो सकते हैं, निजी परेशानियां हो सकती हैं, उनके बार में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिर भी एक बात मैं जरूर सोचता हूं पॉलिटिकल कार्यकर्ता होने के नाते कि कोई भी कार्यकर्ता अगर पार्टी से जाता है तो पार्टी को ऐसी चीजों पर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं नाराजगी है या असंतुष्टि है तो पार्टी नेतृत्व थोड़ा सा इस पर अलर्ट रहे और बीच-बीच में संवाद चलता रहे तो शायद ये स्थितियां पैदा न हों.”

नरेंद्र कश्यप

इसके बाद कश्यप से पूछा गया कि क्या स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के मामलों में संवाद का अभाव रहा, क्या उनको रोका जा सकता था? इस पर उन्होंने कहा, ”जिसको जाना है, वो जाता तो है ही, लेकिन फिर भी संवाद एक रास्ता तो है ही, एक माध्यम तो है किन्हीं भी कारणों का पटापेक्ष करने का.”

दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान का योगी सरकार से बाहर निकलना कोई बहुत चौंकाना वाला कदम नहीं है. ये नेता लंबे वक्त से इस बात के संकेत दे रहे थे. मगर बड़ी बात यही है कि क्या संकेतों के बाद इन्हें संवाद के जरिए मनाने की कोशिश नहीं हुई.

ओबीसी वोटरों पर इन नेताओं के जाने के असर से जुड़े सवाल पर कश्यप ने कहा,

  • ”ओबीसी वोटरों पर इनके जाने और इनके बयानों का असर इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि बीजेपी ओबीसी मोर्चा अपने आप में सशक्त और मजबूत है, जो जमीनी स्तर तक अपने सांगठनिक ढांचे को बनाए हुए है.”

  • ”हमने लगातार ओबीसी समाज के हित में हुए कामों को उनके बीच में रखा है, उनको समझाया है. वो जानते हैं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिला, देश की कैबिनेट में ओबीसी की अच्छी हिस्सेदारी हुई, नीट-केंद्रीय विद्यालयों में 27 फीसदी आरक्षण मिला. ”

  • ”जितनी भी केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, उन सबका अधिकतम लाभ पिछड़ों को मिला है क्योंकि पिछड़े अधिक संख्या में हैं.”

  • ”बीजेपी सरकार ने पिछड़ों को लाभ दिया है, अधिकार दिया है, सम्मान दिया है तो वो कुछ लोगों के जाने से सरकार के कामों को थोड़ी ही भूल जाएंगे. बीजेपी को फिर से सत्ता में आने से रोकना किसी के बस के बात नहीं है.”

ओबीसी वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने बनाया मेगा प्लान

नरेंद्र कश्यप ने बताया, ”14 जनवरी से हम पूरे उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में सामाजिक संपर्क अभियान शुरू कर रहे हैं. खिचड़ी भोज के बाद हम सभी कार्यकर्ता पिछड़ों वर्ग के लोगों के पास जाएंगे. उनको हमारी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाएगा.”

उन्होंने कहा, ”हमने सभी 403 सीटों के लिए 10-15 टोलियां अलग-अलग पिछड़े वर्गों की बना दी हैं. इन टोलियों को वर्कशॉप के माध्यम से प्रशिक्षित भी किया गया है. ये सब लोग नियमित रूप से अपने-अपने समाजों के बीच सरकार और पार्टी की उपलब्धियों के पत्रक लेकर घर-घर जाएंगे.”

ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि ओबीसी वोटों की इस सियासी लड़ाई में बाजी आखिर में किसके हाथ लगती है.

स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- BJP में ‘बेचारा’ बनकर समय काट रहे केशव प्रसाद मौर्य

    follow whatsapp
    Main news