कितना सफल रहा है BJP का निकाय चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाना? पढ़ें रिपोर्ट

कुमार अभिषेक

• 03:10 PM • 23 May 2023

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे सामने आए थे. चुनाव रिजल्ट आए लगभग 10 दिन बीत चुके हैं. इन नतीजों के बाद…

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पिछले दिनों उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे सामने आए थे. चुनाव रिजल्ट आए लगभग 10 दिन बीत चुके हैं. इन नतीजों के बाद बीजेपी अपने मुस्लिम चेहरों की जीत की समीक्षा भी कर रही है.

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समीक्षा इस बात की कि क्या मुस्लिम वोटरों का भरोसा बीजेपी पर बढ़ा है? और क्या इसका कोई चुनावी फायदा बीजेपी को मिल रहा है? इन सवालों के बीच जो चुनावी नतीजे बता रहे हैं वह यह कि हां बीजेपी को मुस्लिम समर्थन बढ़ रहा है. इस बार साल 2017 की तुलना में बीजेपी को मुसलमानों के कई गुना वोट ज्यादा मिले हैं.

मगर पहली बार खुलकर खेला गया पसमांदा कार्ड उतना सफल नहीं रहा है. वाराणसी में बीजेपी ने तीन पार्षद के उम्मीदवार उतारे थे. तीनों पसमांदा मुस्लिम चेहरे थे, लेकिन तीनों तीसरे नंबर पर आए. हालांकि, साल 2017 के मुकाबले इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों को उनके वार्ड में कई गुणा ज्यादा वोट मिले हैं.

बीजेपी की समीक्षा में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य सामने आए हैं, वह यह है कि बीजेपी ने लगभग 80 फीसदी पसमांदा उम्मीदवार उतारे, लेकिन कुल जीतने वालों में सिर्फ 20 फीसदी पसमांदा जीते हैं, जबकि 20 फीसदी अगड़े या अशराफ मुसलमानों को बीजेपी ने टिकट दिया, जिसमें से 80 फीसदी जीते हैं.

इस बार बीजेपी ने साल 2017 के मुकाबले ढाई गुना से ज्यादा उम्मीदवार निकाय चुनाव में उतारे थे. कुल 395 उम्मीदवार उतारे, जिसमें करीब 65 से 70 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. बीजेपी के मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष का दावा है कि यह संख्या ऊपर जा सकती है. यानी बीजेपी ने जितने उम्मीदवार लड़ाए हैं, उसमें से 17 फीसदी उम्मीदवार जीतकर आए हैं. यह एक बड़ा आंकड़ा माना जा रहा है.

दरअसल, बीजेपी इस बार मुसलमानों के बीच प्रधानमंत्री की योजनाओं को लेकर पहुंची थी. प्रधानमंत्री की योजनाओं पर अगर गौर करें तो उसमें लगभग 4.30 करोड़ मुस्लिम जनसंख्या तक पीएम की कोई न कोई योजना पहुंची है.

आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 2.61 करोड़ मुस्लिम आबादी तक राशन पहुंचा है. साढ़े 18 लाख मकान मुस्लिम परिवारों को मिले हैं. 90 लाख मुस्लिम छात्रों को छात्रवृत्ति मिली है. करीब सवा लाख तक मुख्यमंत्री की शादी योजना पहुंची है. कुल आबादी का करीब 22:30 फीसदी किसान सम्मान राशि मुस्लिम परिवारों तक पहुंची है. इसके अलावा अन्य कई योजनाएं उन तक पहुंचती हैं और यह बीजेपी का लिटमस टेस्ट था कि क्या इसका कोई सियासी फायदा मिल रहा है या नहीं.

शुरुआती समीक्षा में बीजेपी के लिए यह संकेत उत्साह बढ़ाने वाले हैं. हालांकि, बीजेपी बहुत ज्यादा सीटें नहीं दिखाई है, लेकिन उसे अच्छे खासे वोट जरूर मिले हैं.

अब जानिए वाराणसी में क्या रहा मुस्लिम मतदाताओं का मन

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भले ही बीजेपी की तरफ से मुस्लिम बहुल इलाकों में उतारे गए तीन मुस्लिम प्रत्याशियों में से किसी ने जीत का स्वाद न चखा हो, लेकिन पहले के मुकाबले मुस्लिमों में बीजेपी इसे बढ़ते जनाधार के रूप में देख रही है. वाराणसी के कुल 100 वार्ड्स में से बीजेपी ने 3 वार्ड्स पर मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. मदनपुरा, जमालुद्दीन्पुरा वार्ड और कच्चीबाग. तीसरे स्थान पर रहने वाली वार्ड मदनपुरा की हुमा बानो हैं.

हुमा बानो की मानें तो 2017 में वे भी वे बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन सिर्फ 100 वोट पाई थी. जबकि इस बार 500 वोट मिले हैं. जहां बीजेपी का झंडा उठाने को कोई तैयार नहीं था वहां दुबारा लड़कर उन्हे 500 वोट मिला. ये भी ऐसा तब हुआ है जब उनके क्षेत्रिय विधायक, कोई बीजेपी मंत्री, मेयर प्रत्याशी और संगठन तक को कोई भी उनके क्षेत्र में प्रचार करने नहीं आया था. उनके वार्ड से एक बार फिर कांग्रेस की इशरत परवीन ने जीत हासिल की है, क्योंकि कांग्रेस की तरफ से पूरा संगठन उनके लिए लगा था.

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा महानगर वाराणसी के महामंत्री हाजी हमीदुल हसन ने बताया कि बीजेपी के प्रति मुस्लिम समाज का विश्वास बढ़ा है. बंधु कच्चीबाग से रेशमा बीबी लगभग 500 वोट मिला, जबकि पहले किसी बूथ पर बीजेपी को 5 से लेकर 25 तक ही वोट मिलते थे.

वहीं, जमालुद्दीन्पुरा वार्ड से बीजेपी प्रत्याशी अहमद अंसारी 433 वोट मिले, जबकि पहले बूथों पर इकाई-दहाई से वोट बढ़ ही नहीं पाता था. इन दोनों वार्ड्स में प्रचार के लिए बीजेपी विधायक और मेयर प्रत्याशी अशोक तिवारी भी पहुंचे. मदनपुरा वार्ड पर मेयर प्रत्याशी के न पहुंचने का उनको कारण पता नहीं है.

उन्होंने आगे बताया कि वे जिस मुस्लिम बाहुल काजी सादुल्लापुरा में रहते हैं. वहां भले ही बीजेपी ने हिंदू प्रत्याशी उतारा था. भले ही वो हार गया, लेकिन पहली बार उनके वार्ड में बीजेपी को 1896 वोट मिले. पहले इस वार्ड में भी बीजेपी को अलग-अलग बूथों पर भी 2-8 वोट ही मिला करते थे, लेकिन वोट प्रतिशत मुस्लिमों का काफी बढ़ा है.

(वाराणसी से रोशन जायसवाल के इनपुट्स के साथ)

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