वृंदावन भगदड़ के नाम पर कॉरिडोर के लिए दबाव बना रहा शासन! ‘सुझाव पत्र’ का हो रहा विरोध

संजय शर्मा

• 05:08 AM • 27 Aug 2022

Mathura News: वृंदावन के जग प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी की रात हुई भगदड़ की जांच के लिए कमेटी की आड़ में यूपी की…

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Mathura News: वृंदावन के जग प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी की रात हुई भगदड़ की जांच के लिए कमेटी की आड़ में यूपी की योगी सरकार ने कॉरिडोर के लिए खुलेआम दबाव बनाना शुरू कर दिया है. कमेटी ने पहले जनता के नाम सर्कुलर निकाला. उस पब्लिक में बैंक बिहारी मंदिर के अंदर बाहर की व्यवस्था और कानून व प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए जनता से सुझाव मांगे गए.

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यहां तक तो सब ठीक रहा, लेकिन सुझाव देने गए ब्रजवासियों का माथा तब ठनका जब वहां सुलखान सिंह की अगुआई वाली जांच कमेटी की ओर से छपा छपाया सुझाव पत्र पहले से तैयार था जिस पर लोगों को हस्ताक्षर या अंगूठा लगाना है. गुरुवार और शुक्रवार को आयोजित अपने इस जांच अभियान को सफल दिखाने के लिए कमेटी ने स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से बसों में भर-भर कर जनता को लाया जा रहा है और ‘सुझावपत्र’ पर दस्तखत या अंगूठा लगवाया जा रहा है.

ये छपा है सरकारी सुझाव पत्र में-

मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाना चाहिए-

इस पर भक्तों का कहना है कि एक तो ठाकुर जी की सेवा बालक देव के रूप में होती है. उनका लाड़ चाव और सेवा भाव भी छोटे बच्चे की ही तरह है. सुबह से दोपहर तक और चौथे प्रहार से रात शयन तक बांके बिहारी लाल चार चार घण्टे से ज्यादा दर्शन नहीं देते. भक्त सेवायत मानते हैं कि इतने में ही बालरूप ठाकुर जी थक भी जाते हैं. रोजाना शयन के समय उनके श्री अंग की मालिश भी होती है.

दर्शन के लिए विग्रह हर समय जगमोहन पर उपलब्ध होना चाहिए-

भक्तों को इस शर्त की भाषा पर भी आपत्ति है. क्योंकि, ठाकुर जी को रोज जगमोहन पर लेकर आना मंदिर की साढ़े चार सौ साल पुरानी परंपरा में कभी नहीं रहा. फूलबंगलों के समय बैसाख से आषाढ़ तक ठाकुर जी नियमित जगमोहन पर आते हैं. इसके अलावा जन्माष्टमी और शरद पूर्णिमा सहित कुछ ही पर्व उत्सव होते हैं जब बांके बिहारी जी जगमोहन पर लाए जाते हैं. यानी ठाकुर जी का जगमोहन पर लाया जाना विशिष्ट उत्सव और नियमित परंपरा पालन का प्रतीक है. इसे रोजाना का नियम नहीं बनाया जा सकता.

परंपरा और संविधान प्रदत्त अपनी आस्था के मुताबिक उपासना करने के बुनियादी अधिकार से खिलवाड़ इस जबरदस्ती के सुझाव पत्र के खिलाफ लोग कभी भी भड़क सकते हैं, क्योंकि इस थोपे हुए कथित सुझाव पत्र से समिति ने कॉरिडोर की मंशा तो जता ही दी है.

कॉरिडोर के नाम पर काशी विश्वनाथ धाम की तरह आसपास की भूमि अधिग्रहण की बात भी इस सुझाव पत्र में कही गई है. मगर विंध्याचल में जिस तरह स्थानीय निवासियों पर दबाव बनाकर जमीन लिखवाने और फौरन बुल्डोजर चलाकर इमारतें ध्वस्त करने की शिकायतों सहित सरकार पर मनमानी के आरोप लगे हैं उसके मद्देनजर यहां निवासियों में आशंका वाली खलबली है.

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