लंदन से पढ़ी इकरा हसन को अखिलेश यादव ने कैराना से लड़ने को उतारा, जानिए इनकी कहानी

शरद मलिक

20 Feb 2024 (अपडेटेड: 20 Feb 2024, 11:44 PM)

इकरा हसन को समाजवादी पार्टी ने कैराना लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. इकरा हसन दिवंगत पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी हैं.

UPTAK
follow google news

Uttar Pradesh News : इकरा हसन को समाजवादी पार्टी ने कैराना लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. इकरा हसन दिवंगत पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी हैं. इकरा हसन के भाई नाहिद हसन कैराना विधानसभा सीट से सपा विधायक है. 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान नाहिद हसन जेल में थे. उस दौरान इकरा हसन ने ही भाई के चुनावी प्रचार का जिम्मा संभाला और उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. कैराना से लंबे समय से इकरा हसन को लोकसभा प्रत्याशी बनाने की मांग उठ रही थी. कैराना और मुजफ्फरनगर, उन सीटों में सबसे खास थीं, जिसे लेकर जयंत चौधरी और अखिलेश यादव में सहमति नहीं बन पा रही थी. बाद में जयंत चौधरी बीजेपी के ही साथ चले गए. 

यह भी पढ़ें...

रालोद के सपा गठबंधन से अलग होने के बाद अखिलेश यादव के लिए इस सीट पर इकरा हसन को उतारने की राह और आसान हो गई. सपा को उम्मीद है कि इकरा हसन की लोकप्रियता और उनके परिवार की राजनीतिक विरासत पार्टी को कैराना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने में मदद करेगी. 

इकरा हसन ने लंदन से की है पढ़ाई 

इकरा हसन को राजनीति विरासत में मिली. उनके दादा अख्तर हसन 1984 में कैराना लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए थे. उनके पिता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद यानी चारो सदनों के सदस्य रह चुके हैं. इसके लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया था. इकरा हसन ने लंदन से पढ़ाई की है. 

कैराना से रह चुकी हैं सांसद

इकरा हसन की माता तबस्सुम हसन एक बार बसपा, एक बार सपा रालोद गठबंधन से कैराना लोकसभा की संसद रह चुकी हैं. सपा से इकरा हसन के कैराना लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. माना जा रहा है कि इस सीट पर इकरा हसन अपने प्रतिद्वंद्वी को कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं, क्योंकि इस सीट पर मुसलमानों की खासी संख्या है. पिछले लोकसभा चुनाव में सपा रालोद बसपा गठबंधन के बावजूद यह सीट भाजपा के प्रदीप चौधरी ने जीत ली थी. 

दिलचस्प है समीकरण

तब बीजेपी के प्रदीप चौधरी को 5 लाख 66 हजार 961 वोट मिले थे. सपा कैंडिडेट तबस्सुम हसन को 4 लाख 74 हजार 801 वोट मिले थे. पिछली बार सपा, बसपा और आरएलडी एक साथ थे. इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं. कांग्रेस-सपा के एक साथ लड़ने की संभावना बन सकती है. हालांकि इंडिया गठबंधन में दोनों दलों के बीच यूपी में सीट शेयरिंग का कोई फॉर्म्युला अबतक निकला नहीं है. चाहे जो हो, इकरा हसन की दावेदारी के बाद कैराना सीट पर एक दिलचस्प चुनाव की उम्मीद जरूर की जा सकती है.

    follow whatsapp
    Main news