उत्तर प्रदेश से सुनील बंसल के जाने के बाद क्या टीम योगी ने राहत की सांस ली है? जानिए

कुमार अभिषेक

• 07:32 AM • 12 Aug 2022

उत्तर प्रदेश में जब जब सुनील बंसल की चर्चा होगी तब तब 2014 से 2022 तक का संगठन महासचिव के नाते एक सफल कार्यकाल की…

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उत्तर प्रदेश में जब जब सुनील बंसल की चर्चा होगी तब तब 2014 से 2022 तक का संगठन महासचिव के नाते एक सफल कार्यकाल की चर्चा जरूर होगी कि कैसे कुशल संगठन के बूते अमित शाह के फार्मूले को सुनील बंसल ने एक जीत की मशीन में बदल दिया. वहीं इसके साथ यह चर्चा भी रहेगी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दबंग और सफल कार्यकाल में भी संगठन ने अपना न सिर्फ वजूद सरकार से अलग बनाये रखा बल्कि पार्टी और सरकार के समन्वय में “बीजेपी फर्स्ट” का मंत्र कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा ऊपर रहा.

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8 सालों के कार्यकाल में योगी और बंसल, सरकार और संगठन के दो अलग-अलग ध्रुव रहे, लेकिन समन्वय में कोई कमी नहीं रही. फैसले हमेशा सर्वसम्मति से लिये गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगठन में कभी हस्तक्षेप नहीं किया, ना ही सुनील बंसल ने सरकार में. लेकिन दोनों के बीच एक अनकहे रस्साकशी की चर्चा हमेशा रही.

हालांकि ये चर्चा भी रही कि सुनील बंसल सरकार को भी संगठन के हितों के मुताबिक चलना चाहते थे और सीएम योगी,सरकार चलाने के अपने सख्त मॉडल में किसी भी हस्तक्षेप के खिलाफ थे. जबकि सुनील बंसल सरकार में भी संगठन की भूमिका एक हद तक चाहते थे. ऐसे में दोनों में एक अनकहा टकराव रहा. हालांकि इसमें कुछ सच्चाई होते हुए भी दोनों ने अपने समन्वय को बनाये रखा और मर्यादा की सीमारेखा हमेशा बनी रही.

योगी आदित्यनाथ की छवि सख्त प्रशासक की रही तो पहले कार्यकाल में ये छवि भी रही कि उनतक बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता,विधायक यहां तक की मंत्री तक नहीं पंहुच पाते. यही नाराजगी और शिकायत लेकर पार्टी के नाराज नेता और कार्यकर्ता सुनील बंसल के पास जाते रहे.

दोनों के बीच मतभेद को लेकर चाहे जितनी भी चर्चा रही हो, लेकिन एक बार विधानसभा के भीतर जब 55 विधायकों का विद्रोह सामने आया उस वक्त सुनील बंसल ही संकट मोचक बनकर सामने आए और सभी विधायकों और नेताओं की नाराजगी जो सरकार के खिलाफ थी उसे खत्म किया.

माना जाता है कि सुनील बंसल के रहते सीएम योगी का दखल संगठन में नहीं था, वह चाहे टिकटों का बंटवारा हो,चाहे उम्मीदवारों का चयन हो या फिर विधान परिषद का चुनाव हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद को संगठन के ऐसे कार्यों से दूर ही रखते रहे, लेकिन सुनील बंसल योगी की इच्छाओं को भी तरजीह देते रहे. वहीं सरकार में अधिकारियों के ट्रान्सफर-पोस्टिंग को लेकर भी रस्साकशी की खबरें आती रहीं.

नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने संगठन की सर्वोच्चता बनाये रखने की होगी इसमें वह कितना सफल होते हैं यह तो कहना मुश्किल होगा, लेकिन एक बात साफ है कि अब सुनील बंसल के उत्तर प्रदेश से चले जाने के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद संगठन सरकार और पार्टी सबसे ऊपर रहेगा.

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