प्रचार में 1.25 लाख का खर्च और फंड करोड़ों में... यूपी में ग्राम प्रधान चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले ये जरूरी बात जान लें

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद पर एक उम्मीदवार अधिकतम 1 लाख 25 हजार रुपये खर्च कर पाएगा। खबर में आप जानिए चुनाव जीतने के बाद एक उम्मीदवार को 5 साल तक कितना फंड मिलता है.

UP Tristariye Panchayat chunav Update

यूपी तक

24 Nov 2025 (अपडेटेड: 24 Nov 2025, 02:00 PM)

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उत्तर प्रदेश में साल 2026 में अप्रैल से जुलाई महीने के बीच होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर हलचल तेज है. उम्मीदवारों ने अपने-अपने स्तर पर प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के विभिन्न स्तरों के प्रत्याशियों के लिए अधिकतम चुनावी खर्च सीमा निर्धारित कर दी है. ऐसे में आज हम आपको ग्राम प्रधान को लेकर इस बात की तफ्सीली जानकारी देंगे कि चुनाव से पहले उम्मीदवार कितना अधिकतम पैसा खर्च पांएगे. वहीं, आप खबर में यह भी जानिए कि चुनाव जीतने के बाद एक ग्राम प्रधान को 5 साल तक विकास कार्यों के लिए कितना फंड मिलता है?

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ग्राम प्रधान के लिए उम्मीदवार कितना खर्च कर सकेंगे?

सबसे पहले आपको यह बता दें कि जो प्रत्याशी ग्राम प्रधान के लिए उम्मीदवारी पेश करेंगे वो चुनाव प्रचार में अधिकतम 1.25 लाख रुपये खर्च कर पाएंगे. 

पांच में ग्राम प्रधान को मिलता है कितना फंड?

उत्तर प्रदेश में एक ग्राम प्रधान को कई स्रोतों से पैसा अलॉट होता है. यह पैसा ग्राम पंचायत के खाते में आता है जिसे प्रधान और अन्य अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर से खर्च किया जाता है. आमतौर पर जिस ग्रामसभा की आबादी लगभग 2000 है उसे केंद्र के 15वें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग से मिलाकर लगभग 20 से 40 लाख रुपये तक सालाना मिलते हैं. इस अनुमान के आधार पर 5 साल में यह राशि लगभग 1 से 2 करोड़ तक जा सकती है. 

और कहां-कहां से मिलता है फंड?

  • MNREGA: यह पैसा मुख्य तौर पर मजदूरी के लिए खर्च किया जाता है. इसका बजट सालाना 10 लाख से 15 लाख हो तक हो सकता है. यानी 5 साल में 50 लाख से 75 लाख.
  • स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, राज्य/मुख्यमंत्री योजना आदि के तहत भी अलग से पैसा आता है जो हर साल 5 लाख से 10 लाख या उससे ज्यादा हो सकता है. 

5 साल में क्या होती है कुल अनुमानित राशि?

एक औसत आबादी वाली ग्राम पंचायत को विभिन्न मदों (जैसे 15वां वित्त आयोग, मनरेगा, राज्य योजनाएं) को मिलाकर 5 साल के कार्यकाल में मोटे तौर पर 2 से 5 करोड़ तक का फंड मिलता है. यह फंड पंचायत के आकार और सरकार द्वारा जारी बजट की उपलब्धता के आधार पर कम या ज्यादा हो सकता है. 

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