ज्ञानवापी: मुफ्ती-ए-शहर बनारस बोले, ,’जो मिला वो फव्वारा, उसे चलता देखने वाले आज भी मौजूद’

उदय गुप्ता

• 06:52 PM • 19 May 2022

ज्ञानवापी मामले में शिवलिंग और फव्वारा के दावों के बीच बनारस के शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि मामले में ओवैसी का बयान…

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ज्ञानवापी मामले में शिवलिंग और फव्वारा के दावों के बीच बनारस के शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि मामले में ओवैसी का बयान भी आपत्तिजनक है और संगीत सोम का भी बयान आपत्तिजनक है. दोनों की निंदा करते हैं. नोमानी ने कहा कि यह मजहबी मामला है. कोर्ट में मामला चल रहा है. इस पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है.

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यूपी तक से बातचीत करते हुए बनारस शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में कोई आकृति नहीं है बल्कि फव्वारा है जिसका इस्तेमाल में होता रहा है. आज भी उस फव्वारे को चलते हुए देखने वाले लोग मौजूद हैं. नोमानी का दावा है कि वह फव्वारा ही है, शिवलिंग नहीं है.

कोर्ट में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में सनातन धर्म के प्रमाण मिलने की चर्चा के संदर्भ में कहा कि हमारे पास भी प्रमाण है कि वह मंदिर नहीं था बल्कि मस्जिद थी और मस्जिद है. उन्होंने कहा कि वैसे भी इस्लाम धर्म में इस बात की बिल्कुल इजाजत नहीं है कि मंदिर को तोड़कर उसपर मस्जिद बनवा ले या किसी के अवैध जमीन पर मस्जिद का निर्माण करा ले. अगर कोई ऐसा करता है तो वह मस्जिद ही नहीं है.

नोमानी ने औरंगजेब की तरीफ की

यह मौजूदा इमारत औरंगजेब की बनवाई हुई है. अब्दुल बातिन नोमानी ने औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा कि वह जिस किस्म के आदमी थे उसको लेकर इस तरह की बातों का तसव्वुर करना भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यह दावा बिल्कुल बेबुनियाद है कि वहां पर शिवलिंग है. यह मस्जिद अकबर के जमाने में भी मौजूद थी और पुरानी की बुनियाद पर औरंगजेब ने मस्जिद तामीर करवाई थी.

अब्दुल बातिन नोमानी ने औरंगजेब की तारीफ की और कहा कि या गलत बात है कि उन्होंने मंदिरों को तुड़वाया था. उन्होंने कहा कि ऐसे दर्जनों इतिहासकार हैं जिन्होंने कहा है कि औरंगजेब इस सोच के आदमी नहीं थे. आलमगीर मस्जिद के संदर्भ में उन्होंने बताया कि इसका असली नाम आलमगिरी मस्जिद ही है. इसका नाम शाही जामा मस्जिद अलमगीरी है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी एक मोहल्ले का नाम है और उस मोहल्ले में होने के नाते ज्ञानवापी मस्जिद कही जाने लगी.

आलमगीर नाम के संदर्भ में मुफ्ती नोमानी ने बताया कि हर मस्जिद को आलमगिरी नहीं कहा जाता है. औरंगजेब के नाम के साथ आलमगीर खिताब जुड़ा हुआ था. औरंगजेब की बनाई गई जितनी भी मस्जिदें होंगी वह आलम गिरी मस्जिद होंगी.

कोर्ट की प्रोसिडिंग के संदर्भ में मुफ्ती ए बनारस ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हमें सम्मान करना चाहिए. हम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. जैसा भी फैसला आएगा उसकी बुनियाद पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.महिला याचिकाकर्ताओं द्वारा डाली गए दूसरे आवेदन के संदर्भ में कहा कि अभी तक तो यह साबित ही नहीं हुआ कि वह शिवलिंग है या नहीं है. हम तो उसे फव्वारा कहते हैं. जब अभी तक कुछ साबित ही नहीं हुआ तो इस तरह से कहना कि वहां वजू नहीं करना चाहिए और उसे सीज कर दिया गया. यहां तो जल्दबाजी में सारी चीजें हुई हैं.

सबसे पहली बात तो यह है कि 17 तारीख को रिपोर्ट पेश होनी थी. अलग बात है कि किसी वजह से पेश नहीं हो पाई. तो जिस दिन यह वीडियोग्राफी हुई और वीडियोग्राफी का काम खत्म होने के पहले मैं था. उसके बाद यह बात सामने आई कि रिपोर्ट दाखिल नहीं हो पाई. कोर्ट में आनन-फानन में इसे पेश किया गया और वहां से फैसला भी आ गया और उसको सील भी कर दिया गया. हमारे मुस्लिम तक का पक्ष भी नहीं जाना गया. एक पक्ष की बात सुनकर आनन-फानन में उस पर अमल हो गया.

उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट पर सवालिया निशान नहीं खड़ा कर रहा हूं, बल्कि जिन लोगों ने दरख्वास्त दी है उनकी बात कर रहा हूं. हम कोर्ट का सम्मान करते हैं. नोमानी ने दावा करते हुए कहा कि पुरानी जितनी मस्जिदें हैं आप जाकर के देख लीजिए वहां पर सब में इस तरह का फव्वारा है और यहां पर भी फव्वारा था.

एक्सक्लूसिव: ज्ञानवापी में शिवलिंग के दावे पर जानें क्या कहती है कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट

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