प्रयागराज के महाकुंभ में बुधवार का दिन कई लोगों के लिए दुःस्वप्न में बदल गया. मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र स्नान के लिए करोड़ों तीर्थयात्रियों के पहुंचने के बाद संगम नोज में थोड़ी अव्यवस्था हुई, जो बाद में भगदड़ में बदल गई. इस हादसे में कई लोगों के मौत होने और घायल होने की आशंका जताई जा रही है. कुंभ का यह आयोजन पहले भी कई बार दुखद हादसों का गवाह भी बना है. 1954 से लेकर 2025 तक कुंभ मेले में कई बार भगदड़ मची, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई.
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हमारे सहयोगी इंडिया टुडे वेबसाइट ने इस संबंध में एक डिटेल रिपोर्ट की है. आइए इन घटनाओं पर एक नजर डालते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा कब-कब हुआ.
1- 1954: स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ और पहली बड़ी त्रासदी
1954 में आज़ादी के बाद पहला कुंभ मेला प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में आयोजित किया गया.
घटना का दिन: 3 फरवरी 1954, मौनी अमावस्या
कारण: गंगा किनारे लाखों की भीड़ और अव्यवस्थित प्रशासन
परिणाम: रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 800 लोग भगदड़ और डूबने से मारे गए.
2- 1986: हरिद्वार में भगदड़
1986 में हरिद्वार के कुंभ मेले में एक और दुखद भगदड़ हुई.
कारण: तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और अन्य राजनेताओं की यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण आम श्रद्धालुओं को रोका गया. इससे भीड़ उत्तेजित हो गई और भगदड़ मच गई.
परिणाम: 200 से ज्यादा लोगों की मौत.
3- 2003: नासिक का कुंभ मेला
2003 में नासिक के कुंभ मेले में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली.
घटना स्थल: गोदावरी नदी का तट
परिणाम: 39 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल.
यह घटना भीड़ के असामान्य रूप से बढ़ने और व्यवस्थाओं की कमी के कारण हुई.
4- 2013: इलाहाबाद रेलवे स्टेशन की भगदड़
2013 का कुंभ मेला प्रयागराज में फिर से एक बड़े हादसे का गवाह बना.
घटना का दिन: 10 फरवरी 2013
कारण: रेलवे स्टेशन पर पुल टूटने से भगदड़ मच गई.
परिणाम: रिपोर्ट के मुताबिक 42 लोगों की मौत हुई और 45 घायल हुए.
5- 2025: संगम नोज पर मची भगदड़
2025 के महाकुंभ में भी एक बार फिर संगम नोज पर दुखद हादसा हुआ.
घटना का दिन: 28 जनवरी 2025, रात करीब 2 बजे
कारण: अमृत स्नान के लिए भीड़ का अचानक बढ़ना और बैरिकेडिंग का टूटना.
परिणाम: दर्जनों घायल और 10 लोगों के मरने की आशंका.
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