गाजियाबाद: एलआर कुमार की जगह अब मुनिराज जी. को बनाया गया प्रभारी SSP, जानिए इनके बारे में

उदय गुप्ता

• 06:39 AM • 03 Apr 2022

2009 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अफसर मुनिराज जी. को गाजियाबाद के नए प्रभारी एसएसपी के रूप में कमान सौंपी गई है. बता दें कि इससे…

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2009 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अफसर मुनिराज जी. को गाजियाबाद के नए प्रभारी एसएसपी के रूप में कमान सौंपी गई है. बता दें कि इससे पहले गाजियाबाद के एसएसपी रहे पवन कुमार को कर्तव्यों के निर्वहन में कथित लापरवाही और अपराध पर प्रभावी नियंत्रण रखने में असमर्थता के लिए निलंबित किया गया था. इसके साथ ही पवन कुमार की जगह डीआईजी एलआर कुमार को अस्थाई रूप से गाजियाबाद का चार्ज लेने का आदेश दिया गया था. मगर अब एलआर कुमार की जगह मुनिराज जी. गाजियाबाद की कमान सौंपी गई है.

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कौन हैं मुनिराज जी.?

मुनिराज जी. मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं और फिलहाल वह पुलिस हेडक्वॉर्टर के चुनाव सेल में तैनात थे. चुनाव सेल में तैनाती से पहले इनकी तैनाती आगरा में थी. माना जाता है कि पिछले साल अक्टूबर में अरुण बाल्मीकि की कस्टोडियल डेथ के मामले में मुनिराज जी. को आगरा से हटा दिया गया था. मुनिराज जी को एक तेजतर्रार पुलिस अफसर माना जाता है. पुलिस अधीक्षक के तौर पर सबसे पहले इनकी तैनाती पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली हुई में थी.

तमिलनाडु के एक किसान परिवार में जन्मे मुनिराज 2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. इनकी नौकरी की शुरुआत बतौर एडिशनल एसपी बनारस से हुई थी. इसके बाद वह एएसपी गाजियाबाद, एएसपी रूरल शाहजहांपुर, एसपी सिटी गाजियाबाद, एसपी चंदौली, एसपी हमीरपुर, एसपी पीलीभीत, एसपी मऊ, एसपी बुलंदशहर और एसपी ट्रेनिंग, एसएसपी अलीगढ़ के रूप में भी तैनात रहे.

खेल में है रूचि

मुनिराज की खेल में भी काफी रूचि है और धावक के तौर पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के कई मेडल भी जीते हैं. साथ ही साथ उन्होंने मैराथन में भी अपना लोहा मनवाया है और अवॉर्ड जीते हैं.

मुनिराज जी. को विपरीत परिस्थितियों में काम करने का ‘एक्सपर्ट’ माना जाता है. सीएए प्रोटेस्ट के दौरान मुनिराज की तैनाती अलीगढ़ में थी और उन्होंने वहां पर ‘बेहतरीन’ काम किया था. इसी तरह आगरा में कोरोना के काल के दौरान भी मुनिराज ने अच्छे काम किए. माना जाता है कि आगरा में अरुण बाल्मीकि की कस्टोडियल डेथ को लेकर मुनिराज को आगरा से हटा दिया गया था.

मुनिराज जी. के बारे में एक खास बात और है कि वे न सिर्फ पैदल और साइकिल चलाकर थानों की चेकिंग करने के लिए जाते हैं, बल्कि अपराधियों की धरपकड़ और छापेमारी करने के लिए भी साइकिल से ही मौके पर पहुंच जाते हैं.

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