कौन हैं नरेंद्र पांडे जिन्हें BSP ने कैसरगंज से दिया टिकट, कैसे मायावती ने बिगाड़ा यहां BJP का खेल? जानें

राम बरन चौधरी

02 May 2024 (अपडेटेड: 02 May 2024, 11:30 AM)

Kaisreganj Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 में हॉट सीट बन चुकी कैसरगंज सीट पर बसपा ने अपना कैंडिडेट उतार कर भाजपा और इंडिया एलाइंस को साफ मैसेज दे दिया है कि वो कैसरगंज में अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर आगे बढ़ेगी.

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Kaisreganj Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 में हॉट सीट बन चुकी कैसरगंज सीट पर बसपा ने अपना कैंडिडेट उतार कर भाजपा और इंडिया एलाइंस को साफ मैसेज दे दिया है कि वो कैसरगंज में अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर आगे बढ़ेगी. बसपा ने कैसरगंज लोकसभा से बहराइच जिले के पयागपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत (पयागपुर कैसरगंज लोकसभा का हिस्सा है) राम नगर खजुरी गांव के रहने वाले नरेंद्र पांडे को उम्मीदवार बनाया हैं. नरेंद्र पांडेय की ट्रांसपोर्टर के तौर पर एक व्यवसायिक पहचान है.

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बकौल नरेंद्र पांडेय, वो साल 2004 से बसपा में सक्रिय रहे हैं. अपने व्यवसायिक काम के महत्व के मद्देनजर नरेंद्र पांडेय बहराइच के पयागपुर क्षेत्र के साथ लखनऊ के इंदिरा नगर में आवास बनाकर रहते हैं. वो प्रदेश भर में गन्ने का सीरा अपने ट्रांसपोर्ट के ट्रकों के जरिए ढुलाई का काम करते हैं. नरेंद्र पांडेय के मुताबिक, उन्होंने कल ही एक सेट में अपना नामांकन गोंडा निर्वाचन कार्यालय में जमा किया है और एक सेट आज दाखिल करेंगे.

 

 

आपको बता दें कि बसपा इससे पहले भी कैसरगंज में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता के कारण 2009 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण चेहरे के रूप में सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू अवस्थी पर और 2014 में पार्टी विधायक रहे कृष्ण कुमार ओझा पर दांव लगा चुकी है. मगर उस दौरान 2009 में हाई कोर्ट लखनऊ के वरिष्ठ और चर्चित अधिवक्ता एलपी मिश्रा को बीजेपी ने कैसरगंज से मैदान में उतारा था, जिसमें एसपी उम्मीदवार बृजभूषण शरण ने एलपी मिश्रा को चुनाव में हरा दिया था. उस दौरान बसपा औरभाजपा दोनो पार्टियों से ब्राह्मण चेहरों के चलते बड़ी तादाद में ब्राह्मण मतदाताओं में बिखराव देखने को मिला.

साल 2014 के आम चुनाव में बसपा ने पार्टी विधायक कृष्ण कुमार ओझा पर फिर दांव लगाया, जिसमें बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी से और विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह सपा से उम्मीदवार थे. तब बृजभूषण शरण सिंह ने चुनाव में फिर से बसपा और सपा को शिकस्त दी थी. वहीं 2019 में सपा-बसपा एलाइंस से चंद्र देव राम यादव करेली मैदान में थे. मगर तब उन्हें सिर्फ 33 फीसदी वोट मिले वहीं बृजभूषण शरण सिंह को रिकॉर्ड 60 फीसदी वोट मिले थे.

 

 

कैसरगंज में जातीय समीकरण में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक करीब 20 फीसदी है. वहीं दूसरे नंबर पर दलित करीब 18 फीसदी हैं. वहीं मुस्लिम करीब 18 फीसदी, जबकि राजपूत करीब 10 फीसदी हैं. वहीं पिछड़ी जातियों में यादव करीब 12 फीसदी, निषाद करीब 9 फीसदी, कुर्मी लगभग 7 फीसदी बताए जाते हैं. इस तरह बसपा ने दलित ब्राह्मण मुस्लिम समीकरण को साधते हुए लगभग 56 फीसदी वोटों को प्राप्त करने की गुणा गणित के हिसाब से एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है.

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