पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी विनय त्यागी की 24 दिसंबर को गोली लगने से मौत हो गई.यह वारदात उस वक्त हुई जब उसे हरिद्वार के लक्सर इलाके में कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था.इस दौरान विनय त्यागी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया. इस घटना के तुरंत बाद विनय त्यागी को एम्स ऋषिकेश भेजा गया. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. 27 दिसंबर को विनय त्यागी की बॉडी को लेकर उसके घर वाले मेरठ आए जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान विनय त्यागी की बहन ने उत्तराखंड पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए. बहन के आरोप के मुताबिक विनय त्यागी पर हमला उत्तराखंड पुलिस की मिलीभगत से किया गया. आरोप ये भी है कि इस पूरे मामले में गाजियाबाद का एक ठेकेदार भी शामिल है जिसके साथ पुलिस मिली हुई है. फिलहाल विनय त्यागी की मौत से उसके गांव नें सन्नाटा पसरा है. वहीं विनय त्यागी के भतीजे राजकुमार ने यूपी Tak से बातचीत करते हुए उसके बारे में काफी कुछ कहा है.
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विनय त्यागी की बहन और बेटी ने लगाए ये आरोप
विनय त्यागी की बहन ने मीडिया के सामने चौंकाने वाला दावा किया कि यह पूरी लड़ाई 750 करोड़ रुपये की है. विनय त्यागी की बहने के आरोप के मुताबिक 'गाजियाबाद के एक बड़े ठेकेदार सुभाष त्यागी के घर पर ED का छापा पड़ा था. उस छापेमारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ठेकेदार ने करोड़ों रुपये और बेनामी संपत्ति के कागजात एक डॉक्टर प्रमोद के यहां छिपाए थे. आरोप है कि विनय त्यागी इस लेन-देन और छिपाए गए धन की जानकारी रखता था और वह इसे ED को सौंपने की योजना बना रहा था. इसी राज को दफन करने के लिए विनय त्यागी को रास्ते से हटाने की साजिश रची गई.
परिजनों का आरोप है कि विनय की हत्या उत्तराखंड पुलिस की मिलीभगत से किया गया है. विनय को देहरादून जेल से रुड़की शिफ्ट करने के लिए उसकी पत्नी के नाम पर फर्जी एप्लिकेशन लगाई गई. आरोप ये भी है कि शिफ्टिंग के वक्त शुरुआत में विनय को बिना हथियारबंद जवानों के ले जाने की कोशिश हुई जिसका विनय ने विरोध किया था. वहीं विनय त्यागी को गोली लगने के बाद 2 घंटे के रास्ते को पुलिस ने जानबूझकर 6-7 घंटे में तय किया जिससे उसकी मौत हो गई. परिजनों को रास्ते में कई जगह रोककर धमकाया गया कि वे पैरवी न करें वरना उन्हें भी फर्जी मुकदमों में फंसा दिया जाएगा. वहीं विनय त्यागी की बेटी का कहना है कि 'पापा ने साफ शब्दों में कहा कि यह सब सुभाष त्यागी ठेकेदार ने करवाया है.' परिवार का दावा है कि अब उन्हें और उनके बच्चों को भी जान का खतरा है और पुलिस उन पर मीडिया में न बोलने का दबाव बना रही है.
कौन था विनय त्यागी?
विनय त्यागी का जन्म मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव खाइखेड़ी में हुआ था. विनय त्यागी के पिता सेवाराम मेरठ मेडिकल कॉलेज में क्लर्क थे. विनय त्यागी का बचपन मेरठ में ही बीता और वहीं से विनय त्यागी ने अपराध की दुनिया मे कदम रखा था. विनय त्यागी पर अपहरण का पहला मुकदमा मेरठ के सिविल लाइन थाने में 1985 में लिखा गया था. इसके बाद से विनय त्यागी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. विनय त्यागी की दहशत 35 सालों से चल रही थी. उसपर हत्या अपहरण, फिरौती, जानलेवा हमला और गैंगस्टर की संगीन धाराओं में 50 से अधिक मुकदमे दर्ज थे. विनय त्यागी की मौत की वजह से मुजफ्फरनगर जिले में स्थित उसके गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है.
विनय त्यागी के भतीजे ने ये सब बताया
विनय त्यागी के भतीजे रामकुमार ने बताया कि 'गांव के लोगों को उनकी मौत की सूचना तो मिल गई है. लेकिन अभी तक गांव से कोई भी वहां के लिए रवाना नहीं हुआ है. रामकुमार का कहना है कि विनय त्यागी का गांव से नाता काफी समय पहले कम हो गया था. उन्होंने कहा कि वे और उनकी पत्नी यहां लंबे समय से नहीं रह रहे थे. पहले उनके माता-पिता यहां रहते थे. लेकिन विनय का ज्यादातर समय मेरठ में ही बीतता था जहां उनके पिता नौकरी करते थे.'
गांव में विनय त्यागी के व्यवहार को लेकर रामकुमार ने बताया कि जब भी वे आते थे तो उनका व्यवहार सबसे बहुत अच्छा रहता था.वे अक्सर अपने माता-पिता से मिलने आते और फिर वापस लौट जाते थे. रामकुमार ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी निशि दो योजनाओं तक ब्लॉक प्रमुख रही थीं और उनके कार्यकाल के दौरान गांव व समाज के विकास कार्य ठीक ढंग से हुए थे.वहीं खुद विनय त्यागी भी सहारनपुर की देवबंद विधानसभा सीट से 2012 में चुनाव लड़ा था लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था. वहीं विनय त्यागी को गोली मारने वालों को लेकर राजकुमार ने कहा कि'गोली मारने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन हमें फिलहाल घटना की पूरी जानकारी नहीं है.'
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