Satyapal Malik Death News: जम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज (मंगलवार) दोपहर करीब 1 बजे दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया. वे 78 वर्ष के थे. अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले सत्यपाल मालिक लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें किडनी सम्बंधित परेशानी थी.
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1965 में राजनीति में रखा था कदम
समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर 1965 में राजनीति में कदम रखने वाले सत्यपाल मलिक ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. उन्होंने 1974 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और बाद में राज्यसभा और लोकसभा में भी सांसद के रूप में देश की सेवा की.
विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े रहे सत्यपाल मलिक ने 1990 में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली. अपने कार्यकाल के अंतिम वर्षों में उन्होंने कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य किया. वे 2017 में बिहार के राज्यपाल बने, जिसके बाद 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया. सत्यपाल मलिक उस समय जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल थे, जब 2019 में इस राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था.
इसके बाद उन्होंने गोवा और फिर मेघालय के राज्यपाल के रूप में भी सेवा दी. हालांकि, बाद में सत्यपाल मालिक केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमलावर हुए. उन्होंने भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए. सत्यपाल मालिक केंद्र की तीन कृषि कानून के भी खिलाफ थे. इस दौरान उनके द्वारा दिए गए तीखे बयानों ने सुर्खियों में खूब जगह बनाई थी.
यहां देखें सत्यपाल मालिक की पूरी राजनितिक यात्रा
1965-66: लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में प्रवेश.
1966-67: मेरठ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.
1968-69: तत्कालीन मेरठ विश्वविद्यालय (अब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.
1974: भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए और पार्टी के मुख्य सचेतक नियुक्त हुए.
1975: नवगठित 'लोक दल' के अखिल भारतीय महासचिव बने.
1980: 'लोक दल' से राज्यसभा के सदस्य नामित हुए.
1984: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य बने.
1986: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त हुए.
1987: 'बोफोर्स घोटाले' से नाराज होकर, राज्यसभा और INC की सदस्यता से इस्तीफा दिया और 'जन मोर्चा' नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया, जिसका 1988 में जनता दल में विलय हो गया. बाद में, विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ मिलकर, उन्होंने देश भर में कई जनसभाओं को संबोधित किया.
1987-91: 'जनता दल' के सचिव और प्रवक्ता नियुक्त हुए.
1989: जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए.
2004: भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा.
2005-06: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए.
2009: भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के अखिल भारतीय प्रभारी नियुक्त हुए.
2012: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त हुए.
2014: लोकसभा चुनाव से पहले कृषि मुद्दों पर 'घोषणापत्र' की उप-समिति के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण सेवाएं दीं.
2014: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में पुनः नियुक्त हुए और पार्टी तथा उसके सहायक संगठनों द्वारा आयोजित किसान रैलियों को संबोधित किया.
2017: बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए.
2018: 23 अगस्त, 2018 को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के रूप में शपथ ली.
इन प्रमुख पदों पर रहे थे सत्यपाल मलिक
1974-77: उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य (बागपत)
1980-84: संसद सदस्य (राज्यसभा)
1986-89: संसद सदस्य (राज्यसभा)
1989-1991: संसद सदस्य (लोकसभा, अलीगढ़)
1989-90: अध्यक्ष पैनल (राज्यसभा) और अध्यक्ष पैनल (लोकसभा) के सदस्य
21 अप्रैल 1990 से 10 नवंबर 1990: संसदीय कार्य और पर्यटन राज्य मंत्री (केंद्रीय)
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