Mirzapur Tourism: उत्तर भारत की गर्मी जोर पकड़ चुकी है. अप्रैल की शुरुआत में ही तापमान 40 डिग्री पार कर गया है और आगे और भी बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में हर किसी का मन करता है कि मनाली, मसूरी, नैनीताल या ऋषिकेश जैसी कहीं ठंडी जगह चला जाए. लेकिन अब हजारों रुपये खर्च करने और लंबी दूरी तय करने की जरूरत नहीं है. अब यूपी के जिले मिर्जापुर में ही आप खूब मजें कर सकते हैं. अब वक्त है मिर्जापुर को जानने और वहां के वॉटरफॉल्स में डुबकी लगाने का. वो भी कम खर्चे में और कम भीड़ के साथ.
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1. लखनिया दरी वाटरफॉल
वाराणसी के करीब स्थित लखनिया दरी वाटरफॉल उन लोगों के लिए परफेक्ट है जो भीड़ से दूर, शांति और प्रकृति की गोद में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं. यहां का नजारा काफी खुबसूपत है. यहां चारों ओर हरी-भरी वादियां और बीच में चट्टानों से गिरता पानी दिखेगा. यह जगह अभी भी एक हिडन जेम है, जिसका मतलब है कि यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती. यहां तक पहुंचने के लिए एक छोटा-सा हाइक है, जो एडवेंचर लवर्स को भी बहुत पसंद आता है. पिकनिक के लिए ये जगह शानदार है और मॉनसून में तो इसका जादू और भी बढ़ जाता है.
2. टांडा फॉल्स
मिर्जापुर का टांडा फॉल्स भी कमाल की जगह है. खासकर बारिश के मौसम में ये झरना पूरी रफ्तार में बहता है और इसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है. हरी पहाड़ियों के बीच से गिरता पानी और उसके चारों ओर फैली हरियाली मन को सुकून देती है. यहां ट्रैकिंग और नेचर वॉक का भी अलग ही मजा है. कुछ लोग तो यहां बार-बार जाना पसंद करते हैं. अगर आपको थोड़ी रोमांच की तलाश है, तो यहां की ऑफ-रोडिंग वाली राइड्स और ट्रेक आपके लिए बिल्कुल सही होंगी.
3. विंढम फॉल
मिर्जापुर से सिर्फ़ 20 किमी दूर कोटवां पांडे गांव में स्थित है विंढम फॉल. इस झरने का नाम पड़ा था ब्रिटिश काल के एक कलेक्टर "पी विंढम" के नाम पर, जिन्होंने यहां 13 साल तक सेवा की थी. यहां का दृश्य बरसात में तो वाकई दिव्य और भव्य हो जाता है. पानी की धाराएं जब पहाड़ियों से टकराती हैं, तो एक अलग ही संगीत पैदा होता है. विकेंन्डस पर यहां टूरिसटों की भीड़ लगती है, जो पानी में नहाने और प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने आते हैं.बच्चों के लिए यहां चिल्ड्रन्स पार्क भी है और सुरक्षा की भी पूरी व्यवस्था की गई है.
4. सिरसी वाटरफॉल
सिरसी डैम के पास स्थित ये झरना मिर्जापुर से लगभग 45 किमी दूर है. जब आप यहां पहुंचते हैं तो पहले डैम दिखाई देता है, उसके बाद थोड़ी दूर चलकर असली नजारा शुरू होता है. पानी ऊंचाई से गिरता है और उसका शोर किसी संगीत जैसा लगता है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और ताजगी का अनुभव लंबे समय तक याद रहता है. एंट्री फ्री है और समय सुबह 6 से शाम 5 बजे तक का है. हालांकि बस सेवा बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए यहां टैक्सी या पर्सनल व्हीकल से जाना ज़्यादा बेहतर होगा.
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पर मिर्जापुर सिर्फ झरनों के लिए नहीं है...यहां इतिहास और आध्यात्म भी मिलेगा.
चुनार किला
गंगा के किनारे स्थित इस किले की नींव 56 ईसा पूर्व पड़ी थी. सम्राट अशोक के स्तंभों से लेकर मुगल और मराठा इतिहास तक, ये किला इतिहास के हर अध्याय का साक्षी है. इसके पत्थर 'चुनार स्टोन' के नाम से मशहूर हैं, जिनसे अशोक के स्तंभ बने थे. यह किला फिल्मों की शूटिंग के लिए भी लोकप्रिय है.
सीता कुंड
रामायण काल की इस पवित्र जगह पर विश्वास है कि माता सीता ने यहां प्यास बुझाई थी, जब लक्ष्मण ने जमीन में तीर मारकर जलधारा निकाली थी. आज भी यहां भक्त दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं.
विंध्यवासिनी देवी मंदिर (विंध्याचल धाम)
यह शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी को समर्पित है. यहां का आध्यात्मिक माहौल, गंगा किनारे की लोकेशन और भक्तों की श्रद्धा इसे एक दिव्य ऊर्जा से भर देता है. नवरात्रि में यहां भारी भीड़ उमड़ती है.
कम खर्च, शुद्ध प्रकृति और कम भीड़ वाली छुट्टियां. इस बार मनाली नहीं, मिर्जापुर चलिए. अब वक्त है नया ट्रेंड शुरू करने का. मनाली-मसूरी की भीड़ और भारी खर्चों से दूर, मिर्जापुर जैसी अपनी ही जमीन पर ऐसी जगहें हैं जो आपको वही सुकून और ताजगी देंगी, वो भी कम बजट में. तो इस बार ट्रिप प्लान करके मिर्जापुर जरूर चलिए. झरने, पहाड़, मंदिर और किलों से भरपूर ये जगह आपका अगला फेवरेट डेस्टिनेशन बन सकती है. और हां, जाने से पहले UP Tak की ये स्टोरी अपने दोस्तों को ज़रूर भेजिए , ताकि सब मिलकर इस गर्मी में ठंडी जगहों का मजा ले सकें.
(यह खबर यूपी Tak के साथ इंटर्नशिप कर रहे सिद्धार्थ मौर्य ने लिखी है.)
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