UP: सरकारी डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं नहीं, जेनेरिक मेडिसिन लिखेंगे, जानें आपका क्या होगा फायदा

अभिषेक मिश्रा

• 07:33 AM • 29 Jun 2022

उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh News) ने एक अहम फैसला लिया है. बता दें कि यूपी के सरकारी और सहायता प्राप्त अस्पतालों के डॉक्टर अब…

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उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh News) ने एक अहम फैसला लिया है. बता दें कि यूपी के सरकारी और सहायता प्राप्त अस्पतालों के डॉक्टर अब मरीजों को किसी भी कीमत पर ब्रांडेड की बजाए जेनेरिक दवाएं (generic medicine) लिखेंगे. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टरों को दवा के ब्रांड का नाम की जगह उसका सॉल्ट लिखने का स्पष्ट निर्देश जारी किया है.

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आपको बता दें कि मंगलवार को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की. इसमें पाठक ने सरकारी और सहायता प्राप्त अस्पतालों में जेनेरिक दवाएं लिखने के सख्त निर्देश दिए.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी शासनादेश में सभी सरकारी अस्पतालों को उपलब्ध दवाओं की सूची प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, डॉक्टर किसी भी कीमत पर मरीजों को बाहर से दवा नहीं लिखेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि इससे जन औषधि केंद्रों का संचालन बेहतर तरीके से होगा.

यूपी तक से बात करते हुए डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,

“जनहित को देखते हुए फैसला लिया गया है. अगर अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध नहीं है और डॉक्टर मरीज को बाहर से दवा लिख ​​रहे हैं, तो उसकी जगह दवा के ब्रांड का नाम लिखकर उसके सॉल्ट का नाम लिखेंगे. साथ ही अगर कोई डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिखते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”

ब्रजेश पाठक

सरकार के आदेश से आम लोगों को होगा क्या फायदा?

सरकार के इस नए आदेश से आम लोगों को क्या फायदा मिलेगा, इसे जानने के लिए हमने यारा फर्टिलाइजर के डिप्टी चीफ (मेडिकल सर्विसेस) डॉक्टर अमित गुप्ता से बात की. उन्होंने बताया,

“कोई भी दवा का एक केमिकल सॉल्ट होता है. उस सॉल्ट का प्रयोग कर अलग-अलग कंपनियां अपनी दवाइयां बनाती हैं और उसे अपने ब्रांड का नाम देती हैं. ब्रांड वैल्यू और दवाई बनाने की तकनीक के आधार पर कंपनियां दवाई का दाम तय करती हैं. इससे दवाओं का दाम काफी हद तक बढ़ जाता है. वहीं, जेनेरिक मेडिसिन के केस में बिना ब्रांडिंग किए हुए उस सॉल्ट से दवा बनाई जाती है. इसके बाद उसके केमिकल या जेनेरिक नाम के आधार पर उसे बाजार में बेचा जाता है. इससे जेनेरिक मेडिसिन का दाम ब्रांडेड दवा के मुकाबले कम हो जाता है और आम लोगों को इसका फायदा भी मिलता है.

डॉक्टर अमित गुप्ता

गौरतलब है कि मरीज सरकारी अस्पताल के जन औषधि केंद्र से जेनेरिक दवा खरीद सकते हैं. खबर के मुताबिक, इससे पहले डॉक्टरों द्वारा ब्रांडेड दवा लिखने की कई शिकायतें मिली हैं जो कि लिए गए निर्णय के पीछे एक प्रमुख कारण है. साथ ही जेनेरिक दवा के उपयोग को प्रोत्साहित भी किया गया है.

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