कोविड का संकटकाल कई परिवारों पर कहर बन कर टूटा था. कई परिवारों के कमाने वाले सदस्य की जान कोविड में चली गई तो वहीं कई बच्चे अनाथ हो गए. पर 18 वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और उनका भरण पोषण हो सके, इसके लिए यूपी सरकार ने उनकी जिम्मेदारी उठाने की पहल की है. यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ शुरू कर इसकी शुरुआत की.
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ऐसे बच्चों को अब प्रतिमाह 4,000 रुपए दिए जाएंगे. इस वर्ष के लिए ये किस्त जारी कर दी गई है. 13, 371 बच्चों को आर्थिक सहायता की किस्त, 2217 बच्चों को लैपटॉप, कोविड काल में बेसहारा हुए बच्चों के लिए वर्ष 2022-23 की प्रथम छमाही की किस्त जारी की गई है.
13371 बच्चों के लिए प्रथम छमाही किस्त की धनराशि सभी जिलों को भेजी गई है. इससे बच्चों को अपने पढ़ाई और भरण पोषण में आर्थिक सहायता मिलेगी. प्रथम छमाही के लिए 2217 बच्चों को लैपटॉप भी मिलेगा. इसके लिए भी जिलों को धनराशि जारी की गई है.
योगी सरकार इन बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए, इसके लिए उनको आर्थिक सहायता दे रही है. इस बार 18 वर्ष पूर्ण करने वाली लड़कियों की संख्या 5 है. ये वो बालिकाएं हैं जिनके माता-पिता या घर में जीविकोपार्जन करने वाले अभिभावक की कोविड काल के दौरान कोविड से मौत हो गई थी. इन 5 बालिकाओं के लिए शादी अनुदान की धनराशि भी जारी की गई है.
यह योजना एक परिवार के दो बच्चों तक के मदद के लिए है. दरअसल कोविड काल में हुए नुकसान के बाद यूपी में ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ की शुरुआत की गई थी. इस योजना के अंतर्गत साल 2022-23 में बच्चों के लिए किस्त जारी की गई. इस योजना में 18 साल से कम उम्र तक के ऐसे सभी बच्चे आते हैं जिनके माता-पिता या अभिभावक की मौत 1 मार्च 2020 के बाद हुई है.
अगर कोविड के अतिरिक्त किसी अन्य कारण से भी मौत हो गई है, तो उन्हें भी योजना के तहत राशि आवंटित हो चुकी है. योजना की शुरुआत में 18 साल तक के बच्चों को इसका लाभ दिया गया, जबकि बाद में 18 से 23 साल के ऐसे किशोरों को भी सहायता दी गई, जिन्होंने अपने माता-पिता अथवा अभिभावक को कोविड या अन्य कारणों से खो दिया है.
योजना के तहत बच्चों को 2500 रुपये की प्रतिमाह सहायता राशि प्रदान करने का प्रावधान था. जिसे बाद में बढ़ाकर 4000 रुपये किया गया. इस योजना के तहत जिनकी माता तलाकशुदा हैं, जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्य कमाने वाला जेल में है उनको भी इस योजना के तहत शामिल किया गया है.
ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति या बाल वेश्यावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार या पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया है, उनका भरण पोषण और पढ़ाई हो सके, इसके लिए उन्हें भी इस योजना में शामिल किया गया है. इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को दिया जा रहा है.
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