वीडियो वायरल होने के बाद कौशांबी के नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य को मिल गया कंबल, क्या है मामला?

UP News: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले UPTAK खबर का जोरदार असर हुआ है. खबर चलने के बाद जिला प्रशासन ने नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य को कंबल दिया है. आपको बता दे कि शनिवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी वायरल हुआ था, जिसपर खूब विवाद हुआ था.

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अखिलेश कुमार

05 Jan 2025 (अपडेटेड: 05 Jan 2025, 04:00 PM)

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UP News: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले UPTAK खबर का जोरदार असर हुआ है. खबर चलने के बाद जिला प्रशासन ने नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य को कंबल दिया है. आपको बता दे कि शनिवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी वायरल हुआ था. वायरल वीडियो सिराथू तहसील के समाधान दिवस का था. वीडियो में एक नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य सिराथू तहसीलदार अंनत राम अग्रवाल से हाथ जोड़कर एक कंबल की गुहार लगा रहे थे. 

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वीडियो में तहसीलदार कहते हुए दिखाई दिए थे कि अभी कंबल नहीं है. जब कंबल आएंगे तो बाट दिए जाएंगे. बता दें कि UPTAK की खबर के बाद अब  जिला प्रशासन हरकत में आया है और लेखपाल के माध्यम से बुजुर्ग को कंबल दिया गया है.

क्या बोले नेत्रहीन बुजुर्ग?

नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य ने यूपीतक से बात करते हुए कहा, कल कंबल के लिए गए थे. पहले हम विनती करते रहे. अधिकारी बोले कि कंबल बंट गए हैं. अब नहीं हैं. हम काफी देर तक हाथ जोड़े खड़े रहे. मगर कंबल नहीं मिला. आज लेखपाल ने 2 कंबल दिए हैं.

क्या बोले तहसीलदार?

इस पूरे मामले पर तहसीलदार अंनतराम अग्रवाल ने बताया, कल तहसील दिवस में लवकुश मौर्य आए थे. जिस समय वह यहां आए थे, उस समय तहसील में कंबल उपलब्ध नहीं थे. उनसे कहा गया था कि थोड़े दिन बाद कंबल आ जाएंगे तो दे दिए जाएंगे. अब उनको कंबल मिल गया है.

तहसीलदार ने बताया, तहसील को 1322 कंबल मिले हैं. तहसील में 297 गांव हैं. लेखपालों को कंबल दे दिए गए हैं, जिससे वह गरीबों में कंबल बांट दे. हमारे पास सीमित कंबल थे, जिनका विपतरण कर दिया गया था.


वीडियो में ये हुए नेत्रहीन बुजुर्ग और तहसीलदार के बीच बात

बुजुर्ग- साहब, हम अंधे हैं. दोनों आंखें खराब हैं.. हमारे कागज देख लीजिए. हमको कंबल चाहिए. (साथ में बुजुर्ग का साथी भी था)

तहसीलदार- आप दोनों लोग अंधे हैं?

बुजुर्ग- हां साहब, आप कागज देख लीजिए. अंधे के कागज हैं.

तहसीलदार- तो अभी तक आपको मिला नहीं कंबल?

बुजुर्ग- अभी कहां साहब. लेने ही नहीं आए. सर्दी बहुत है. हिम्मत ही नहीं हुई.  

तहसीलदार- कंबल अब तो बचे नहीं है. जो 250 कंबल आए थे, वह बंट गए हैं.

बुजुर्ग- नहीं साहब, मेरे लिए तो जरूर दीजिए.

तहसीलदार- अरे अब होगा, तब ही आएंगे. तभी आपको मिलेगा.

बुजुर्ग- अरे साहब, जाड़े में बहुत परेशान हैं.

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