इस नवरात्रि में कब है अष्टमी और नवमी? ज्योतिषी से जानें इसकी सही डेट
यूपी तक
• 08:49 PM • 28 Sep 2025
नवरात्रि में महाअष्टमी 30 सितंबर 2025 को और महानवमी 1 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी. अष्टमी पर देवी महागौरी और नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. इन तिथियों पर हवन, दान-पुण्य और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है.
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नवरात्रि का यह पावन समय चल रहा है और इसका हर दिन अपने आप में मूल्यवान है, लेकिन अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है. एस्ट्रो तक पर ज्योतिषी पंडित शैलेंद्र पांडेय ने बताया इसका सही विधान.


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पंडित शैलेंद्र पांडेय बताते हैं कि नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियां शक्ति के दोनों रूपों (महागौरी और सिद्धिदात्री) को समर्पित हैं. किसी भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा के आरंभ से पहले दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ करना कार्य में सफलता और सुरक्षा दिलाता है.
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महा अष्टमी को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है और यह तिथि देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप को समर्पित है. इस दिन व्रत, हवन और दान का विशेष महत्व है. जान लें कि अष्टमी तिथि कब शुरू होकर कब समाप्त होगी.


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इस बार की नवरात्रि में महाष्टमी मनाई जाएगी 30 सितंबर को. यानी 30 सितंबर को अष्टमी तिथि की पूजा होगी. अष्टमी तिथि के आरंभ होने के बाद शुभ मुहूर्त में देवी महागौरी की पूजा की जाती है. इस मुहूर्त में पूजा करने से सौभाग्य, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मुहूर्त के अनुसार ही करें हवन और दान-पुण्य का कार्य.
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महानवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होती है. इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा का विधान है, जो भक्तों को हर तरह की सिद्धि प्रदान करती हैं. इसी दिन कई लोग अपना नवरात्रि व्रत पूर्ण करते हैं.


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इस बार महानवमी की पूजा 1 अक्टूबर को की जाएगी और 1 अक्टूबर को मध्य रात्रि की पूजा के बाद नवरात्रि का समापन होगा. नवमी तिथि का महत्व हवन और पूर्णाहुति के कारण होता है. नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त में घर में हवन करना, कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण करना शुभ फल देता है.
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अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए. इसमें 9 कन्याओं (जो मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं) और एक छोटे बालक को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
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