महामंडलेश्वर की प्रक्रिया के समय रो पड़ीं ममता कुलकर्णी, उन्होंने किन्नर अखाड़ा ही क्यों चुना?

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25 Jan 2025 (अपडेटेड: 25 Jan 2025, 04:03 PM)

अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई और गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की.

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अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई और गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की. जब उनकी महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया चल रही थी, तबी उनकी आंख से आंसू छलक गए थे. 

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महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने ममता का पिंडदान कराने के बाद महामंडलेश्वर पद पर उनका पट्टाभिषेक किया. किन्नर अखाड़े ने ममता को माई ममता नंद गिरी नाम दिया. 

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बयान में कहा गया है, "ममता ने किन्नर अखाड़ा पहुंचकर आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया. इसके बाद वह अखिल भारतीय अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्र पुरी से भी मिलीं. ममता इस दौरान साध्वी के कपड़ों में दिखाई दीं. 

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अभिनेत्री ने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैं महाकुंभ की इस पवित्र बेला की साक्षी बन रही हूं, संतों का आशीर्वाद प्राप्त कर रही हूं. मैंने 23 साल पहले अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी से कुपोली आश्रम में दीक्षा ली थी और अब मैं पूरी तरह से संन्यासी जीवन में प्रवेश कर रही हूं."

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ममता ने कहा, “मैंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अपना पट्टागुरु इसलिए चुना, क्योंकि आज शुक्रवार है और यह महाकाली का दिन है.  मुझे महामंडलेश्वर बनाने की तैयारी चल रही थी. और आज मां शक्ति ने मुझे निर्देश दिया कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को चुनूं, क्योंकि वह अर्धनारीश्वर का साक्षात रूप हैं. इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है कि कोई अर्धनारीश्वर मेरा पट्टाभिषेक करे.”

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उन्होंने कहा, “महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए मुझे कड़ी परीक्षा देनी पड़ी. मुझसे सवाल किया गया कि मैंने 23 वर्षों में क्या किया? जब मैंने सभी परीक्षाएं पास कर लीं, तो मुझे महामंडलेश्वर की उपाधि मिल गई.”

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यह पूछे जाने पर कि उनकी ‘दीक्षा’ को लेकर कुछ संतों में नाराजगी है, ममता ने कहा, "कई लोग नाराज हैं. उन्हें लगता है कि मैं बॉलीवुड में वापसी करूंगी. लेकिन, जैसी ईश्वर की इच्छा... महाकाल और महाकाली की इच्छा के आगे किसी की नहीं चलती. वही परम ब्रह्म हैं.”

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किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ममता ने आज गंगा तट पर अपना पिंडदान किया. उन्होंने बताया कि किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता को दीक्षा दी. 

 

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 टीना मां के अनुसार, ममता पिछले दो वर्षों से जूना अखाड़ा से जुड़ी रही हैं और दो-तीन महीने पहले वह किन्नर अखाड़े के संपर्क में आई थीं. 

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