UP चुनाव: ‘अली-बाहुबली-बजरंगबली’ के बीच दिलचस्प हुई गाजियाबाद की लोनी सीट की लड़ाई
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टियां जनता को साधने की हर कोशिश में दिख रही हैं. इस बीच इन दिनों…
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उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टियां जनता को साधने की हर कोशिश में दिख रही हैं. इस बीच इन दिनों गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट चर्चा में है. इस सीट से एसपी-आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशी को लेकर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ टिप्पणी कर चुके हैं. साथ ही इस सीट पर अली से लेकर बाहुबली और बजरंगबली के नारों तक का जिक्र हो चुका है.
सीएम योगी आदित्यनाथ 17 जनवरी को गाजियाबाद आए थे. इस दौरान उन्होंने गाजियाबाद जिले में पड़ने वाली 5 सीटों में से सिर्फ एक सीट का नाम लिया और वो थी लोनी.
उन्होंने कहा था, “लोनी से प्रत्याशी जो दिया है एसपी गठबंधन ने, उससे उनका चरित्र साफ हो जाता है.” दरअसल, एसपी-आरएलडी गठबंधन ने यहां से मदन भैया को अपना प्रत्याशी बनाया है.
मदन भैया को इलाके का बाहुबली माना जाता है. शायद योगी के यही बोल से यहां से बीजेपी प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर को भी बल मिल गया. उन्होंने नामांकन के दौरान था कहा कि ना अली ना बाहुबली, लोनी में चलेगा बजरंगबली. वहीं इसके जवाब में मदन भैया ने कहा कि ध्यान रखना मेरा नाम मदन भैया है.
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इन दिनों लोनी विधानसभा में एक और नया ट्विस्ट आ गया है. बीजेपी की महिला नेता और लोनी नगर पालिका चेयरमैन रंजीता धामा के पहले इस्तीफा देने और उसके बाद निर्दलीय नामांकन करने के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया है.
रंजीता धामा ने अपने नामांकन के बाद स्पष्ट कर दिया था कि वह नंदकिशोर गुर्जर को चुनाव हरवाने के लिए लड़ रही हैं. रंजीता धामा ने कहा था कि वह कफन बांधकर चुनाव में उतरी हैं. हालांकि, सीधा इशारा उन्होंने किसी को नहीं किया, लेकिन हर कोई जानता है कि उनकी सियासी अदावत लोनी के मौजूदा विधायक नंद किशोर से हैं.
रंजीता धामा का कहना है कि वह और उनके पति मनोज धामा 13 साल तक बीजेपी में रहे. सांसद से लेकर विधायक और पार्षद पद के चुनाव उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों को लड़ाये और जीत दिलाई, लेकिन पार्टी से उन्हें सिर्फ तिरस्कार मिला. जिसके चलते वह निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.
इस विधानसभा की यहां आपको चुनावी गणित समझना होगा. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से नंदकिशोर गुर्जर को तकरीबन 1 लाख 13 हजार वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर बीएसपी के जाकिर अली रहे थे, जिनको 70 हजार वोट मिले थे. वहीं मदन भैया तब राष्ट्रीय लोक दल से लड़े थे और उनको करीब 42 हजार वोट मिले थे, जबकि एसपी प्रत्याशी राशिद मलिक को भी तकरीबन 42 हजार वोट मिले थे.
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इस सीट का चुनावी मिजाज समझने के लिए आपको यहां के जातिगत समीकरण को समझना होगा. यहां करीब डेढ़ लाख मुसलमान, 45 हजार गुर्जर, 82 हजार ब्राह्मण, 22 हजार ठाकुर, 10 हजार त्यागी के अलावा ओबीसी की 50000 वोट हैं. नंदकिशोर गुर्जर और मदन भैया जहां गुर्जर समाज से आते हैं वही रंजीता धामा जाट हैं.
क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि रंजीता धामा के पति मनोज धामा जो फिलहाल जेल में है. उनका अपना वोट बैंक है, जिसमें गुर्जर जाट और मुसलमान शामिल हैं. ऐसे में रंजीता धामा को फिलहाल नंदकिशोर गुर्जर और मदन भैया दोनों के लिए नुकसानदेह बताया जा रहा है.
वहीं नंदकिशोर गुर्जर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परिपाटी पर चलते हुए लोनी में पलायन और विकास को मुख्य मुद्दा बता कर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं.
ऐसे में लोनी विधानसभा सीट का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. अब देखना होगा कि आगामी 10 फरवरी को मतदाता किसके पक्ष में वोट करते हैं और 10 मार्च को जब EVM खुलती है तो किसके हाथ जीत लगती है.
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