प्रयागराज घूमने जरूर जाइए, मगर यहां भूलकर भी न करिए ये 5 गलितयां!

पंकज श्रीवास्तव

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Prayagraj News: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बड़े जनपदों में से एक है. यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है. संगम स्थल को त्रिवेणी कहा जाता है और यह हिन्दुओं के लिए विशेषकर पवित्र स्थल है. प्रयागराज, अपने गौरवशाली अतीत और वर्तमान के साथ भारत के ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरों में से एक है. यह हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति का शहर है. हर साल यहां करोड़ों की तादाद में सैलानी घूमने आते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप प्रयागराज घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो भूलकर भी आप यहां इन 5 गलतियों को करने से बचें.

प्रयागराज में न कीजिए ये 5 गलतियां

  1. प्रयागराज में अर्ध कुंभ और कुंभ के साथ माघ मेला लगता है. लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. ऐसे में आप अपने बच्चों को अकेला ना छोड़ें.
  2. नागा साधुओं से ना उलझें.
  3. संगम क्षेत्र में गंदगी भी ना फैलाएं और किसी का अनादर ना करें.
  4. किसी अखाड़े में बिना आज्ञा के न जाएं.
  5. वहीं, शहर में बिना टिकट यात्रा भी न करें, पकड़े जाने पर आप मुसीबत में पड़ सकते हैं.
प्रयागराज आएं तो ये चार जगह जरूर घूमें
 
1. त्रिवेणी संगम
 
पहले हम बात करेंगे संगम की. संगम में मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती का वास है. यहां हर साल माघ मेला और हर छै वर्ष में अर्ध कुम्भ और हर 12 वर्षो में कुम्भ लगता है. अर्ध कुम्भ और कुम्भ में सभी 13 अखाड़े, संस्थाएं और कल्पवासी व देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. वहीं, हर साल लगने वाले सालाना माघ मेले में कल्पवासी और श्रद्धालु आकर त्रिवेणी में स्नान करते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं.
2. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी
अब हम बात करेंगे मां सरस्वती यानी शिक्षा की. यहां इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. इस यूनिवर्सिटी ने कई प्रधानमंत्री और राजनेता दिए. इसके साथ कई नगीने इस विश्विद्यालय से पढ़कर अपने शहर का नाम रोशन कर रहे हैं. पूरब के ‘ऑक्‍सफोर्ड’ के नाम से मशहूर इस विश्वविद्यालय से एक से बढ़कर एक छात्र निकले हैं. इस विश्वविद्यालय से पढ़कर निकलने वालों में 2 राष्ट्रपति, 3 प्रधानमंत्री और 6 मुख्यमंत्रियों के नाम शुमार हैं. प्रधानमंत्री की बात करें तो गुलजारी लाल नंदा. देश के प्रधानमंत्री (कार्यकारी) पद तक पहुंचे. इसी विश्वविद्यालय से पढ़े विश्वनाथ प्रताप सिंह को भी प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्‍त हुआ. उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले समाजवादी नेता चंद्रशेखर ने भी यहीं से पढ़ाई की और वह भी देश के प्रधानमंत्री बने. भारत के अलावा, नेपाल के प्रधानमंत्री रहे सूर्य बहादुर थापा ने भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही पढ़ाई की थी. 6 मुख्यमंत्रियों का नाम भी शामिल है. इनमें पंडित गोविंद बल्‍लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी आदि के नाम शामिल हैं. इसके अलावा जाने-माने राजनीतिज्ञ व दिल्‍ली के सीएम रहे मदन लाल खुराना ने भी यहीं से पढ़ाई की. वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके विजय बहुगुणा, मध्‍य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे डॉ. अर्जुन सिंह ने भी इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. वहीं, दो पूर्व राष्ट्रपतियों ने भी यहां पढ़ाई की है. डॉ. शंकर दयाल शर्मा और जाकिर हुसैन दोनों ही इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. इसके अलावा उप राष्ट्रपति गोपाल स्‍वरूप पाठक भी इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का नाम भी शामिल है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंगनाथ मिश्रा इस यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. इसके अलावा केएन सिंह, वीएन खरे, आरएस पाठक, एमएच वेग, जेएस वर्मा, मोहम्मद हिदायतुल्लाह समेत कई न्‍यायधीश भी यहां के स्‍टूडेंट रह चुके हैं.
3. चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क
अगर आप प्रयागराज आएं तो इस अल्फ्रेट पार्क में जरूर आएं. ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का नारा देने वाले चंद्रशेखर आजाद का शहीदी स्थल भी यहां पर है. इस पार्क में चंद्रशेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा स्थापित है. इस पार्क में अंग्रेजो से लोहा लेते वक्त वे घिर गए और जब उनके पास अतिंम गोली बची तो आजाद ने अपने आपको अपनी चहेती रिवॉल्वर बमतुल बुखारा से गोली मार ली और शहीद हो गए. लेकिन वे अंग्रेजों के हाथ नहीं आए. वो आजाद थे और आजाद ही रहे. जब लोग प्रयागराज घूमने आते हैं, तो चंद्रशेखर आजाद पार्क में आकर इस शहीदी स्थल को देखना नहीं भूलते.
4–आंनद भवन
आंनद भवन यानी नेहरू, गांधी परिवार का घर. आनंद भवन को मोतीलाल नेहरू ने 1930 में बनाया था. इसे स्वराज भवन के नाम से भी जाना जाता है. यहां कभी ये कांग्रेस के मुख्यालय भी होता था. लेकिन 40 साल तक रहने के बाद इंदिरा गांधी ने इसे 1970 में भारत सरकार को दान कर दिया था और इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था. यहां पूर्व पीएम नेहरू की पुरानी चीजें देखने को मिलेंगी, जैसे साइकिल, उनके इस्तेमाल का समान, बिस्तर जिसपर वो आराम करते थे, यहां तारामंडल भी है और पुराने टिकट भी देखने को मिल सकते हैं. तारामंडल 1975 में बनाया गया था. इसका उद्देश्य बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना था.  अगर आप यहां आए तो इसके प्रवेश के लिए आपको 20 रुपये देने होंगे. अगर आप संग्रहालय और ग्राउंड फ्लोर दोनों देखना चाहते हैं तो आपको 70 रुपये का टिकट कटाना पड़ेगा और तारामंडल देखेंगे तो आपको 60 रुपये अलग से होंगे. आनंद भवन सुबह 9:30 बजे खुलता है और शाम 5:00 बजे बंद हो जाता है. सोमवार को और राष्ट्रीय त्योहारों पर यह बंद रहता है. अगर आप प्रयागराज आ रहे हैं, तो आनंद भवन जाना ना भूलें.

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