UP चुनाव 2022: पूर्वांचल में BJP और SP गठबंधन के बीच कहां फंस रहा मुकाबला? समझिए

भाषा

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उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र यानी पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी (एसपी) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मजबूत सामाजिक समीकरण को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है, जबकि सत्तारूढ़ दल अपने जातिगत समीकरण को नुकसान पहुंचने से बचाने के पूरे प्रयास कर रहा है.

बीजेपी की सहयोगी रहने के बाद अब एसपी के साथ आई ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) अपने समुदाय के मतों का एक बड़ा हिस्सा खींच सकती है, वहीं मौर्य-कुशवाहा मतदाताओं का वर्ग 2014 से हर चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को मजबूत समर्थन देने के बावजूद उसकी ओर पर्याप्त ध्यान न दिए जाने की शिकायत कर रहा है.

शिवपुर सीट बीजेपी और एसपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां 2017 में 54000 से अधिक मतों से जीतने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार अनिल राजभर के सामने एसपी ने एसबीएसपी की ओर से ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को खड़ा करके मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

संदहा गांव में एसबीएसपी और बीजेपी दोनों दलों के झंडे कुछ राजभर परिवारों के घर के ऊपर लहरा रहे हैं. गांव के राम निवास राजभर कोरोना वायरस के दौरान उनके परिवार को मुफ्त राशन सुनिश्चित करने के लिए सत्तारूढ़ दल की सराहना करते हैं, तो उनके रिश्तेदार अरविंद राजभर क्षेत्रीय दल का जिक्र करते हुए ‘‘बिरादरी के नेता’’ अरविंद का समर्थन कर रहे हैं.

इस परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘‘हमारे मत हर जगह बंटे हुए है. कई बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कौन सी जाति अपने नेताओं का समर्थन नहीं करती?’’

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बीजेपी ने जहूराबाद से एसबीएसपी प्रमुख के खिलाफ कालिचरण राजभर को खड़ा किया है. बीजेपी सहयोगी के तौर पर ओम प्रकाश राजभर ने 2017 में कालिचरण राजभर को हराया था.

एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई स्थानों पर उन जातियों के उम्मीदवारों को खड़ा किया है, जिन्हें पार्टी का पारंपरिक समर्थक नहीं समझा जाता है, ताकि उसे मुसलमानों और यादव समर्थकों के अलावा अन्य जातियों का समर्थन हासिल हो सके.

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एसपी ने गाजीपुर सदर सीट से जय किशन साहू को बीजेपी की संगीता बलवंत के खिलाफ टिकट दिया है.

एसबीएसपी के अलावा बीजेपी सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी पूर्वांचल में मजबूत हो रही हैं, लेकिन कुछ अन्य पिछड़ा वर्गों को लग रहा है कि उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा.

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मनोज मौर्य और नेमचंद मौर्य अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाता हैं, लेकिन दोनों की समान शिकायत है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की कथित तौर पर अनदेखी की गई है और बीजेपी को लगातार समर्थन देने के बावजूद उनके समुदाय पर ध्यान नहीं दिया गया.

नुकसान की भरपाई करते हुए बीजेपी ने हाल में बीएसपी के सुजीत कुमार मौर्य सहित कई स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया.

ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी को ऊंची समझी जाने वाली जातियों और कुर्मी जैसी ओबीसी जातियों का समर्थन प्राप्त है और एसपी के पास मुसलमान और यादव समुदाय का समर्थन है. ऐसे में बाकी बची जातियां इन चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएंगी.

नैसारा गांव के राम सागर प्रजापति ने बीजेपी के कार्यकाल में तीन मुख्य समस्याओं के रूप में ‘‘बेरोजगारी, महंगाई और आवारा मवेशियों’’ का जिक्र किया, लेकिन साथ ही कहा, ‘‘एसपी के कार्यकाल में हमें दिन और रात में छह-छह घंटे ही विद्युत आपूर्ति मिलती थी. चीजें अब बहुत बेहतर हैं और सड़कों पर पहले से सुरक्षित माहौल है.’’

प्रजापति की बात को राकेश सिंह यादव और उनके साथियों ने ध्यान से सुना, लेकिन दावा किया कि अखिलेश यादव बीजेपी को हरा देंगे क्योंकि लोगों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि पूर्वांचल में अंतिम दो चरणों में तीन मार्च और सात मार्च को मतदान होगा.

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