लखनऊ में बैठकों का दौर जारी, केशव, ब्रजेश पाठक, भूपेंद्र चौधरी तो मिले पर कहां रहे CM योगी?
UP Political news: इस बीच लखनऊ में एक बार फिर बीजेपी में बैठकों का दौर देखा गया. मजेदार बात यह रही कि इस बैठक में दोनों डिप्टी सीएम तो मौजूद रहे, लेकिन सीएम योगी इसमें शामिल नहीं हुए.
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UP Political news: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की करारी हार के बाद से ही पार्टी के लिए हालात सामान्य नहीं चल रहे. पार्टी में संगठन बनाम सरकार की लड़ाई अब खुलकर सामने है. इसी क्रम में सोमवार को यूपी सरकार को एक और झटका तब लगा जब कांवड़ रूट के होटलों, ढाबों, दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के उसके फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी. विपक्ष ने इसे बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति की हार तक बता दिया. इस बीच लखनऊ में एक बार फिर बीजेपी में बैठकों का दौर देखा गया. मजेदार बात यह रही कि इस बैठक में दोनों डिप्टी सीएम तो मौजूद रहे, लेकिन सीएम योगी इसमें शामिल नहीं हुए.
असल में सोमवार शाम को लखनऊ बीजेपी दफ्तर में दोनों उपमुख्यमंत्री, केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री ने बैठक की. इस बैठक में मुख्यमंत्री शामिल नहीं थे, बताया गया कि आजमगढ़ और वाराणसी में सीएम की मीटिंग पूर्व निर्धारित थी. इसलिए वह उन बैठकों के चलते इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए और इन बाकी के चार नेताओं ने आपस में मीटिंग की.
पिछले दिनों केशव प्रसाद मौर्य का दिल्ली दौरा रहा चर्चाओं में
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले दिनों बीजेपी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक में संगठन को सरकार से ब़ड़ा बताने वाला बयान दिया था. इसके बाद से ही चर्चाओं के तमाम दौर शुरू हुए. बाद में केशव दिल्ली गए और वहां उनकी मुलाकात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी हुई. इसके बाद उन्होंने अपने बयान को दोहराया भी. यूपी में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी अपनी रिपोर्ट में सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं की नाराजगी को रेखांकित किया है. इन बातों के सार्वजनिक होने के बाद यह कहा जाने लगा कि बीजेपी संगठन और योगी सरकार के बीच शायद सब ठीक नहीं चल रहा है.
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इसी बीच केशव प्रसाद मौर्य की एक चिट्ठी भी सामने आई है, जो योगी सरकार को और असहज करने वाली है. इस चिट्ठी में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आउटसोर्सिंग या संविदा पर काम कर रहे कुल कर्मचारियों और आरक्षण का ब्यौरा मांगा है. एनडीए के अपना दल जैसे सहयोगी भी सरकार पर आरोप लगा चुके हैं कि नौकरियों में आरक्षण खासकर पिछड़े और दलितों के आरक्षण की अनदेखी की जा रही है. उन नौकरियों में खासतौर जो इंटरव्यू आधारित हैं, वहां नॉट फाउंट सुटेबल (NFS) बता आरक्षण की हकमारी की जा रही है.