रामचरितमानस पर ‘विवादित’ बयान देने के मामले में स्वामी मौर्य के लखनऊ में मुकदमा दर्ज

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रामचरितमानस को लेकर ‘विवादित’ बयान देने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के खिलाफ लखनऊ में मंगलवार को मुकदमा दर्ज किया गया है.

मामले में डीसीपी सेंट्रल अपर्णा कौशिक ने बताया कि शिकायतकर्ता शिवेंद्र मिश्र की तहरीर पर हजरतगंज थाना में आईपीसी की धारा 153a, 295A,298, 504 505(2) में स्वामी मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है.

गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कहा था, ”रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है. यह ‘अधर्म’ है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है.”

मौर्य ने कहा था, ‘रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.”

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उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को यूपीतक से बात करते हुए कहा था कि कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं. रामचरितमानस में एक चौपाई लिखी है, जिसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.

उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो.

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