राहुल के साथ बैठे, हाथ मिला गुफ्तगू की और फिर अखिलेश ने आने वाले चुनावों पर मन की बात भी कह दी
अखिलेश यादव ने राहुल गांधी से मुलाकात की, हाथ मिलाया, बातचीत की और फिर आगामी चुनावों पर अपने विचार साझा किए. जानिए इस मुलाकात के दौरान क्या चर्चा हुई.
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Akhilesh Yadav on Opposition Unity: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में जम्मू-कश्मीर पहुंचे समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने बड़ा सियासी संदेश दिया है. इस कार्यक्रम में अखिलेश यादव कांग्रेस नेता और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बगल में बैठे नजर आए. तस्वीरों को देखकर साफ लगता है कि अखिलेश और राहुल गांधी के बीच में बातचीत भी हुई है. इस बातचीत में क्या आने वाले यूपी के उपचुनावों की सीट शेयरिंग भी डिस्कस हुई? अभी इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई, इसलिए इसे बताना मुमकिन नहीं. पर अखिलेश यादव का कश्मीर से एक इंटरव्यू जरूर सामने आया है, जिसमें वो हालिया हरियाणा चुनाव और आने वाले महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनावों पर अहम टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं.
हरियाणा चुनाव पर कांग्रेस को सीख दे गए अखिलेश?
अखिलेश यादव ने जो कहा पहले उसे जानिए फिर इसके सियासी मायने भी समझिए. अखिलेश यादव ने हमारे सहयोगी इंडिया टुडे के साथ बातचीत करते हुए कहा कि वह उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला के साथ जम्मू-कश्मीर की जनता को बहुत मुबारकबाद देते हैं. अखिलेश ने कहा कि, 'जहां रीजनल पार्टियां बड़ी जिम्मेदारी के साथ लड़ी हैं, वहां इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत हुई है.'
अखिलेश से पूछा गया कि हरियाणा में चुनावी नतीजे इंडिया गठबंधनके पक्ष में नहीं रहे. महाराष्ट्र और झारखंड में भी दो बड़े चुनाव आ रहे हैं. इसपर अखिलेश ने कहा, 'हरियाणा का इलेक्शन एक लर्निंग इलेक्शन होना चाहिए. हारती हुई चुनाव को बीजेपी जीत गई. क्या कारणा रहा, वो विश्लेषण अलग है. हरियाणा से सीख लेते हुए मुझे उम्मीद है कि झारखंड और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन लड़ेगा और जीत हासिल होगी.' साफ है कि अखिलेश यादव जहां एक तरफ रीजनल पार्टी को इंडिया गठबंधन की जीत का क्रेडिट दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस को भी इशारों में हरियाणा चुनाव को लर्निंग की तरह लेने को कह रहे हैं.
अखिलेश से फिर सवाल यह हुआ कि महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में समाजवादी पार्टी की क्या भूमिका होगी. इसपर अखिलेश यादव ने कहा, 'महाराष्ट्र में सपा के पहले 2 MLA हैं. हमें उम्मीद है हम ज्यादा विधायक जीतेंगे. झारखंड में भी पार्टी है लेकिन संगठन उतना बड़ा नहीं है. संगठन के तहत फैसला लेंगे, इंडिया गठबंधन के साथ खड़े रहेंगे.'
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महाराष्ट्र में क्या अखिलेश का दिल मांग रहा मोर?
हरियाणा चुनाव में अखिलेश यादव सीट शेयरिंग के वक्त बड़ा गिल दिखाया था. तब अखिलेश का बयान आया था कि सीट से ज्यादा जीत जरूरी है. विपक्षी एकजुटता दिखाने के बावजूद हरियाणा में बीजेपी जीत गई और कांग्रेस उसे हराने में कामयाब नहीं हुई. अब लगता है कि अखिलेश यादव महाराष्ट्र में कम से समझौता करने को तैयार नहीं हैं. अखिलेश का यह बयान कि विधायकों की संख्या 2 से बढ़ेगी, शायद इसी ओर इशारा करता है.
यूपी में भी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. कांग्रेस का सपा पर दबाव है कि उसे भी यहां अधिक से अधिक सीटें मिलनी चाहिए. अब आने वाले दिनों में ये देखना रोचक होगा कि यूपी में कांग्रेस को अखिलेश कितनी सीटें देते हैं और महाराष्ट्र में सपा वहां के महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के संग कितनी सीटें पाती है.
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