मैनपुरी उपचुनाव के लिए अखिलेश ने डिंपल को क्यों बनाया उम्मीदवार, जानिए इसके पीछे की वजह
समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. सभी अटकलों को विराम लगाते हुए समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव…
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समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. सभी अटकलों को विराम लगाते हुए समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी से अपना उम्मीदवार बनाया है. सपा की ओर से मैनपुरी सीट पर मजबूत दावेदारों में तेज प्रताप यादव, धर्मेंद्र यादव और शिवपाल यादव के नाम की भी चर्चा थी. वहीं गुरुवार को पार्टी ने जब ऐलान किया तो डिंपल यादव का नाम मैनपुरी सीट के लिए सामने आया.
मैनपुरी सीट पर यादव परिवार का कई दशकों से कब्जा है. यह सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है. मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को अब डिंपल यादव संभालेंगी.
पिता की विरासत अपने पास रखना चाहते हैं अखिलेश
मैनपुरी सीट से डिंपल यादव क्यों ? यही सवाल सबके सामने है. अखिलेश यादव मुलायम सिंह की हर विरासत सिर्फ अपने पास रखना चाहते हैं,मुलायम सिंह की सीट की विरासत किसी और के पास नहीं जा सकती चाहे वह चाचा हो, चचेरे भाई हो, या फिर भतीजे. सबसे बड़ी वजह यही है कि मुलायम सिंह की खाली सीट पर पत्नी डिंपल यादव को उतारकर अखिलेश यादव ने यह मैसेज साफ कर दिया की विरासत की सीट भी सिर्फ उनके ही पास रहेगी. जैसे मुलायम सिंह की बनाई पार्टी समाजवादी पार्टी की विरासत उनके पास है.
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काफी पहले से अखिलेश यादव डिंपल यादव के लिए एक अदद सीट की तलाश में थे, कन्नौज सीट पर चुनावी हार के बाद से डिंपल यादव संसद में नहीं पहुंच पाई थी. अखिलेश यादव उन्हें संसद में भेजना चाहते थे और मैनपुरी सीट खाली होने के पहले पूरी तैयारी थी कि डिंपल यादव राज्यसभा चली जाएं लेकिन आखिरी वक्त में जयंत चौधरी को सीट दए जाने से डिंपल यादव राजसभा नहीं जा पाई. ऐसे में मुलायम सिंह के निधन के बाद डिंपल यादव के लिए यह सबसे सुरक्षित और मुफीद सीट अखिलेश यादव को लगी.
भाई और भतीजे के बीच भी जंग को मिलेगा विराम
एक और बड़ी वजह शिवपाल यादव की इस सीट पर दावेदारी थी मुलायम सिंह के निधन के बाद शिवपाल यादव ने भी मुलायम सिंह की इस विरासत पर अपनी दावेदारी ठोक दी थी. ऐसे में अगर यह सीट किसी और को दी जाती तो शिवपाल यादव के लिए यहां चुनाव लड़ना आसान होता लेकिन अब अपनी बहू के खिलाफ उनकी किसी भी तरह की दावेदारी उनके ही खिलाफ जाएगी. इसलिए इसे एक ट्रंप कार्ड अखिलेश यादव का माना जा रहा है. चचेरे भाई और भतीजे के बीच इस सीट को लेकर अनकही दावेदारी थी. मैनपुरी सीट पर धर्मेंद्र यादव भी लड़ना चाहते थे और भतीजे तेज प्रताप यादव ऐसे में पार्टी और परिवार में कोई कलह डिंपल यादव के नाम पर नहीं होग. इसका फायदा भी अखिलेश यादव को मिलेगा.
डिंपल यादव के नाम पर परिवार की इस पैतृक सीट पर जिसे आज तक समाजवादी पार्टी कभी नहीं हरी. यह सीट भविष्य के लिए डिंपल यादव के लिए दुर्ग साबित हो सकता है. जिसे भेदना बीजेपी के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि यह सीट सियासी रूप से सपा की सबसे सुरक्षित सीटों में है. इसलिए अखिलेश यादव अब पत्नी डिंपल यादव की सियासी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं.
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