BJP ने कंधे पर बिठाया तो रातों रात कैसे पार्टी का नया चेहरा बन गए भूपेंद्र चौधरी? जानें

कुमार अभिषेक

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UP Political News: अपने किसी नेता की कैसे ब्रांडिंग करनी है? कैसे किसी को बड़ा बनाना है? और कैसे किसी नेता को गुमनामी से निकाल कर उसे पार्टी का चेहरा बना देना है, बीजेपी से बेहतर न तो कोई जानता है और ना ही कोई कर पाता है. भूपेंद्र चौधरी का नाम अध्यक्ष के तौर पर एक सरप्राइज था. जब दिल्ली में उनके नाम का ऐलान हुआ, तब नेताओं और कार्यकर्ताओं को छोड़कर शायद ही उनके नाम को लेकर ज्यादा चर्चा रही हो. मगर अध्यक्ष बनते ही भूपेंद्र चौधरी एकाएक बीजेपी के नए सितारे बन गए और बीजेपी ने अपने इस नए चेहरे को अपने कंधे पर बिठा लिया. देखते-देखते पार्टी और कार्यकर्ताओं ने भूपेंद्र चौधरी को एक बड़ा चेहरा बना दिया.

आपको बता दें कि बीजेपी ने भी ब्रांडिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी. भूपेंद्र चौधरी जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष बने एक-एक कर तमाम बड़े नेता दिल्ली में उनसे मिलते रहे. फूलों का गुलदस्ता स्वीकार उनकी तस्वीर आती रही, लेकिन जब पार्टी ने उन्हें दिल्ली से लखनऊ उनकी ताजपोशी के लिए भेजा तो बकायदा ट्रेन में सवार कर 41 विधायकों, सांसदों और प्रवक्ताओं के साथ उन्हें लखनऊ रवाना किया. ताकि अगर भूपेंद्र चौधरी को कोई नहीं भी जानता हो तो वह जान ले कि पार्टी का प्रदेश का अगला निजाम यही है.

स्टेशन दर स्टेशन उनका स्वागत, कार्यकर्ताओं से मिलना, ट्रेन के भीतर आम लोगों से मुलाकात कुछ ऐसी प्लानिंग इस नए अध्यक्ष के लिए की गई कि लखनऊ पहुंचते-पहुंचते भूपेंद्र चौधरी एक बड़ा नाम बन जाए और हुआ भी यही- योगी सरकार में पहले स्वतंत्र प्रभार फिर कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी को रिसीव करने के लिए दोनों उपमुख्यमंत्री को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर लगाया गया.

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केशव मौर्य और बृजेश पाठक ने भूपेंद्र चौधरी की अगवानी की और एक रथ में सवार कर उन्हें रेलवे स्टेशन से बीजेपी दफ्तर तक जुलूस की शक्ल में लाए. रेलवे स्टेशन से बीजेपी दफ्तर के पहुंचने के पहले जगह-जगह कार्यकर्ता उनका स्वागत करते रहे. मंत्री अपने-अपने समर्थकों के साथ स्वागत में जुटे रहे और प्रदेश अध्यक्ष लगभग आधा दर्जन महापुरुषों की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यकर्ताओं के बीच अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाते रहे.

यही बीजेपी की यूएसपी है कि उसने जब करोड़ों कार्यकर्ता बनाएं तो उन कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल कैसे करें, कैसे एक छोटे से मौके को बड़े इवेंट में तब्दील कर दें और देखते-देखते कोई चेहरा फर्श से अर्श तक पहुंच जाएं! ये कला बीजेपी को ही आती है.

समाजवादी पार्टी ने कई सालों से अपना प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को बनाए रखा है, लेकिन उनकी पहचान पार्टी और कार्यकर्ताओं तक सीमित है, जबकि बीजेपी पार्टी और कार्यकर्ताओं से इतर आम लोगों तक अपने किसी भी चेहरे को ले जाती है. ताजा उदाहरण भूपेंद्र सिंह चौधरी का है.

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यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पहले तक भूपेंद्र चौधरी को कम ही लोग जानते थे पार्टी कार्यकर्ता और नेता ही भूपेंद्र चौधरी को जानते पहचानते थे. लेकिन अचानक ही रातों-रात प्रदेश अध्यक्ष बनते ही भूपेंद्र चौधरी बीजेपी के नए सितारे बन गए. उनका इतिहास, उनकी जाति, उनका काम सब कुछ खंगाल दिया गया और जब बीजेपी के कंधे पर सवार होकर लखनऊ पहुंचे, तो पार्टी के बड़ा चेहरा और बड़े नेता बन चुके थे.

कांग्रेस भी जब कभी दमखम वाली हुआ करती थी तो ऐसे मौके उसके लिए भी इवेंट हो जाते थे. लेकिन दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों में कौन अध्यक्ष है, कौन नहीं इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता. सपा और बसपा के लिए सिर्फ सर्वोच्च नेता ही सबकुछ और कार्यकर्ता सारी ऊर्जा सिर्फ अपने नेता के लिए लगाते हैं.

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों में ही नए प्रदेश अध्यक्ष की वैकेंसी है. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी जल्द ही अपना नया अध्यक्ष लाएगी और कांग्रेस पार्टी में तो चुनाव के बाद ही अजय सिंह लल्लू को हटा दिया था. तब से वह कार्यवाहक अध्यक्ष बने हुए हैं. लेकिन बीजेपी ने अपने जाते हुए अध्यक्ष और आने वाले अध्यक्ष दोनों को लेकर एक बड़ा माहौल बनाया.

भूपेंद्र चौधरी तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच स्थापित हो गए और कार्यकर्ताओं के जुबान पर चढ़ गए, लेकिन अब असल चुनौती शुरू होगी जब बीजेपी के लिए 2024 में उनके लिए जीत का टारगेट तय होगा.

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