ज्ञानवापी के 10 तहखानों में क्या, जो मिला वह शिवलिंग या फव्वारा? हिंदू पक्ष ने की अब ये मांग

संजय शर्मा

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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एक बार फिर हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हिंदू पक्ष ने दो याचिकाएं दाखिल की हैं. एक याचिका वजूखाना की सील खोलकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने और दूसरी 10 तहखानों का सर्वेक्षण कराने के लिए है. ज्ञानवापी परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश एएसआई के निदेशक को देने की मांग वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. वहीं, दूसरी याचिका में ज्ञानवापी में वजूखाना वाले इलाके को डी-सील करने की मांग की गई है. हिंदू पक्ष ने कोर्ट से मांग की है कि ASI के महानिदेशक को सीलबंद क्षेत्र के भीतर स्थित कथित शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचाए बिना कथित शिवलिंग की प्रकृति और संबंधित विशेषताओं का निर्धारण करने के लिए आवश्यक जांच/सर्वेक्षण करने का निर्देश दें. 

हिंदू पक्षकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि ये कि ये सर्वे बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से कराया जाए. मौजूदा समय में विवादित परिसर में वजूखाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संरक्षित है. यानी वहां सीलबंदी की गई है.

बता दें कि वहां हिंदू पक्षकर आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग होने का दावा कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है. हिंदू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी में सील एरिया को भी खोले जाने की मांग की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सील क्षेत्र में सर्वे पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई गई है. 

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अर्जी में विवादित स्थल को कृत्रिम दीवारों से सील किए गए वाराणसी मस्जिद के 10 तहखानों को खोलने और उनमें ASI के जरिए वैज्ञानिक  सर्वेक्षण करने की इजाजत देने की मांग भी की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 19 मई 2023 को दिया गया आदेश वापस लेने की गुहार लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कराए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. 

'मंदिर के अवशेषों पर बनी थी ज्ञानवापी मस्जिद'

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. जैन ने संवाददाताओं को बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां बृहस्पतिवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी. 

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जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था. उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए हैं.   जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने का आदेश और तारीख पत्थर पर फारसी भाषा में अंकित है. उन्होंने कहा कि ‘महामुक्ति’ लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है. 

जैन ने कहा कि मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार एक मंदिर की दीवार है. उन्होंने कहा कि उस दीवार पर घण्टा, वल्लरी (लताओं का उकेरा गया चित्र) और स्वास्तिक का चिह्न मिला है.  दीवार पर पत्थरों पर उकेरा गया ब्रह्म कमल का तोरण द्वार बना हुआ है.

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(कनु शारदा के इनपुट्स के साथ)

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