Diwali 2022: पढ़ें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

ब्रिजेश कुमार

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घरों में दिवाली (Diwali 2022) की तैयारियां जोरों पर है. साफ-सफाई के साथ धनतेरस की शॉपिंग में लोग बिजी हैं. लोग दिवाली पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा कर परिवार की सुख शांति के साथ धन-वैभव की कामना की तैयारी कर रहे है. ऐसे में ये जान लेना बहुत जरूरी है कि दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा कैसे और कब करें?

दीपक देते हैं सकारात्मक ऊर्जा

सकारात्मक ऊर्जा ही व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लेकर आता है. लक्ष्मी और गणेश शुभ मुहूर्त में पूजा भी सकारात्मक ऊर्जा घर, दुकान या प्रतिष्ठान में भर देता है. ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित हरेंद्र उपाध्याय ने बताया ये पूजा कब और कैसे करें?

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पंडित हरेंद्र उपाध्याय के मुताबिक 24 तारीख दिन सोमवार को काशी के महावीर पंचांग के अनुसार अमावस्या सायं काल 5 बजकर 4 मिनट पर हो रहा है. 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. इसके अलावा रात्रि में सिंह लग्न 1 बजकर 4 मिनट से लेकर 3 बजकर 18 मिनट पर आता है. ये भी काफी अच्छा मुहूर्त माना गया है. लक्ष्मी और गणेश की पूजा अचर लग्न यानी स्थिर लग्न में करनी चाहिए. इस वर्ष दिपावली 24 अक्टूबर कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाई जाएगी.

ऐसे करें पूजन की तैयारी

सर्वप्रथम अपने घर के एक-एक कोने को सफाई करें. आपका दुकान, घर, कारखाना हो सभी की सफाई के बाद एक एक कोने में दीप रखें. भाव ये रखें कि वह दीप ज्ञान का है जो हमारे घर के प्रत्येक कोने में जल रहा है. दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. घर के पूर्व और उत्तर के कोने में एक दीपक जला देना चाहिए. एक चौकी लेकर लाल वस्त्र बिछाकर अपने श्रद्धा और शक्ति के अनुसार, चांदी, मिट्‌टी या अन्य धातु की मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति रखें.इस बात का अवश्य ध्यान दें कि लक्ष्मी की प्रतिमा गणेश जी प्रतिमा के दाहिने तरफ रखें.

ऐसे करें पूजन

अपने श्रद्धा अनुसार  जल, माला, फूल, मीठा, रोली और अबीर, बुका, पान पत्ता और पुंगी फल के अलावा नाना प्रकार के फल लेकर गणेश-लक्ष्मी का पूरे परिवार के साथ पूजा करना चाहिए. श्रद्धायुक्त पूजन करना चाहिए. घर या अपने प्रतिष्ठान में भी ऐसे ही पूजा होती है. शुद्ध रेशमी या सूती वस्त्र धारण करके ही पूजा करें. पूजन से पहले पहले लक्ष्मी और गणेश का पैर पक्षालन कराएं. फिर स्नान कराएं. फिर षोडषो उपचार या 10 उपचार जितना हो सके उसके अनुसार पूजन करना चाहिए.

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