वाराणसी के मंदिरों से क्यों हटाई जाने लगी साईं बाबा की प्रतिमा, कौन लोग इसके पीछे, विवाद क्या?

रोशन जायसवाल

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Sai Baba Idol Varanasi : उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मंदिरों में स्थापित साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर संग्राम छिड़ गया है और इसपर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.  वाराणसी के प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर से साईं प्रतिमा हटाई जा चुकी है.  शहर के और भी मंदिरों से साईं प्रतिमा को हटाए जाने की मांग केंद्रीय ब्राह्मण महासभा कर रही है. आखिर वाराणसी में ये साईं प्रतिमा को लेकर अचानक विवाद क्यों खड़ा हो गया? आइए साईं प्रतिमा को हटाने की मांग के पीछे की पूरी कहानी को समझते हैं. 

ब्राह्मण महासभा ने शुरू किया अभियान 

वाराणसी के मंदिरों में साईं प्रतिमा को हटाने के पीछे केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की भूमिका मानी जा रही है. ब्राह्मण महासभा ने साईं प्रतिमा को लेकर तमाम बातें कहीं हैं और इसे सनातन धर्म के खिलाफ होने को लेकर तर्क दिया है. इसी वजह से वाराणसी में ब्राह्मण सभा के लोग साईं बाबा की मूर्तियां हटा रहे हैं. केंद्रीय ब्राह्मण महासभा अब आगे की रणनीति बना रही है, जिसके तहत शहर के सभी मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटाई जाएंगी. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक फिलहाल साईं की मूर्ति हटाने को लेकर शहर में किसी प्रकार का तनाव नहीं है और ना ही किसी दूसरे वर्ग द्वारा इसका विरोध किया गया है. 

इस मामले पर बात करते हुए वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी राजेश तिवारी ने बाताया कि, 'बड़ा गणेश मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा साल 2013 में स्थापित हुई थी. उस दौरान ऐसी कोई भी सामने नहीं आई थी.  चार-पांच साल पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्‍वती ने एक अभियान छेड़ा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल किया कि साईं बाबा मुस्लिम हैं. इसलिए उन्होंने आदेश जारी किया कि सभी सनातनी मंदिरों से साईं प्रतिमा को हटाया जाए.'  

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केंद्रीय ब्राह्मण माहसभा कार्यकर्ता शिवांशु यदुवंश ने बताया कि, 'चाहे चर्च हो या मजार हो हिंदू हर जगह जाकर  पूजा-पाठ करता है, तो इसका मतलब ये तो नहीं है न कि उन्हें हम अपने मंदिरों में स्थान दे दें. अगर किसी को साईं बाबा में या चांद मियां में आस्था है, तो वो अपने घर पर उनकी पूजा करें. मंदिरों में उनको स्थान नहीं मिलेगा.' 

पुराना है विवाद 

बता दें कि साल 2014 में  शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा को मुसलमान फकीर कहा था. शंकराचार्य के इस बयान के बाद काफी विवाद भी हुआ था.  शंकराचार्य ने साईं बाबा के मंदिर बनाए जाने का भी विरोध किया था और कहा था कि, जो शिरडी के साईं बाबा की पूजा को बढ़ावा दे रहे हैं वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म कमजोर हो. उन्होंने आरोप लगाए थे कि साईं बाबा के नाम पर पैसा कमाया जा रहा है. पिछले साल मार्च में बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने भी शिरडी साईं बाबा पर बयान दिया था जिसपर काफी विवाद भी देखने को मिला था. साईं बाबा पर बयान के बाद  धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत भी की गई थी. 

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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जबलपुर में आयोजित अपने एक प्रवचन में साईं बाबा को लेकर कहा था कि, हिंदू धर्मगुरु शंकराचार्य ने कभी भी साईं बाबा को देवता का स्थान नहीं दिया था और हर सनातनी को शंकराचार्य की बात माननी चाहिए. धीरेंद्र शास्त्री ने साईं बाबा को भगवान मानने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें संत और फकीर माना जा सकता है, परंतु भगवान नहीं.
 

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