गंगा किनारे तरबूज लगा अच्छी आमदनी कर रहे गाजीपुर के किसान, जानें कितनी लागत, कितना मुनाफा

विनय कुमार सिंह

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Ghazipur watermelon farming: गाजीपुर और आसपास के क्षेत्र में गंगा किनारे बलुअट मिट्टी वाले रेतीले खेतों में किसान इन दिनों तरबूज की फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. तरबूज उत्पादक किसानों की आजकल पहली पसंद माधुरी नस्ल के तरबूज हैं. इस नस्ल के एक तरबूज का औसत वजन 8 से 12 किलो होता है. इसे उगाने वाले किसानों को मोटा मुनाफा हो रहा है. सवा दो महीने में ये तरबूज तैयार हो जाता है. गाजीपुर और पूर्वांचल सहित इसकी मांग बिहार, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल और दिल्ली तक के बाजारों में खूब है. फिलहाल गंगा के रेतीले इलाके में इसकी खेती आजकल खूब हो रही है.

गाजीपुर के मध्य से गंगा नदी के गुजरने से गर्मी के दिनों में दोनो तरफ रेतीले खेतों में क्षेत्रीय किसान तरबूज की खेती मांग के अनुसार खूब कर रहे हैं. खासतौर से गंगा पार इलाके जिसमें भदौरा, रेवतीपुर, जमानियां, दिलदारनगर और फौजी गांव गहमर के क्षेत्र शमिल हैं, वहां के किसान इन दिनों तरबूज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इस क्षेत्र के किसान गंगा के किनारे लीज पर जमीन लेकर तरबूज और खरबूज के साथ ही लौकी, भिंडी, कद्दू, खीरा और ककड़ी आदि की खेती भी कर रहे हैं.

रेवतीपुर के रहने वाले अनिल और पारस यादव की मानें तो उन्होंने प्रयोग के तौर पर इस साल अपने लीज के खेतों में तरबूज की खेती कराई है. बनारस से माधुरी नस्ल के तरबूज के बीज को लाकर उन्होंने अपने खेतों में बोया है. उन्होंने बताया कि तरबूज की माधुरी नस्ल हमारे क्षेत्र के लिए अच्छी है. इस तरबूज के छिलके पतले होते हैं. एक फल का औसत वजन 8 से 12 किलो के बीच होता है. इस नस्ल को खेतों में बीज लगाए जाने के बाद लगभग सवा दो से ढाई महीने अमूमन पचहत्तर दिनों में ये तरबूज तैयार हो जाता है.

पारस और अन्य किसानों के अनुसार प्रति बीघा तरबूज बोने का खर्च लगभग 18 से 19 हजार के करीब आता है. जून के महीने से फलों की अंतिम रूप से हार्वेस्टिंग (तुड़ाई) शुरू हो जाती है. उन्होंने बताया कि स्थानीय मार्केट के साथ ही तरबूज को हम किसान मिलकर बड़े ट्रक के माध्यम से गाजीपुर की बड़ी सट्टी, पाताल गंगा सब्जी मंडी, वाराणसी की पहाड़ियां मंडी या फिर जैसे व्यापारी मिल जाएं उस हिसाब से बिहार, झारखंड, बंगाल और उड़ीसा तक भी भेजते हैं. उन्हें लोकल मार्किट की तुलना में बेहतर रेट मिल जाता है.

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क्षेत्रीय किसानों का दावा है कि ढाई महीने में नगद पैसा मिल जाता है और दूनी कमाई से ज्यादा हो जाती है. फिलहाल गाजीपुर में किसानों को तरबूज की फसल से अच्छी कमाई हो रही है. किसानों की मानें तो इलाके के अन्य किसान भी धान गेहूं की पारंपरिक खेती के साथ ही फलों और सब्जियों की खेती करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. आलम यह है कि क्षेत्र के किसान 15 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से लीज पर जमीन लेकर भी सीजनल सब्जियों और फलों की खेती कर रहे हैं . इसमें गर्मी में होने वाला तरबूज कमाई की दृष्टि से किसानों की पहली पसंद बना हुआ है और इसका प्रचलन अब धीरे धीरे और जोर पकड़ रहा है क्योंकि इसकी मांग के अनुरूप दाम भी अच्छा और नगद मिल जा रहा है.

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