मेरठ में इरफान के घर जन्मा 4 पैर और 3 हाथ वाला बच्चा! डॉक्टर ने बताया आखिर क्यों हुआ ऐसा
उत्तर प्रदेश के मेरठ में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में 3 दिन पहले एक नवजात बच्चे को भर्ती कराया गया है, चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, इस नवजात बच्चे के चार पैर और तीन हाथ हैं…
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Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में 3 दिन पहले एक नवजात बच्चे को भर्ती कराया गया, चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, इस नवजात बच्चे के चार पैर और तीन हाथ हैं. नवजात को लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराए जाने के बाद वहां के डॉक्टर फिलहाल बच्चे की जांच में जुटे हुए हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ‘यह किसी न किसी कमी की वजह से ऐसा हुआ है. फिलहाल बच्चे की जांच की जा रही है और उसके कुछ टेस्ट कराए जा रहे हैं. उसके बाद ही आगे का इलाज किया जाएगा.’
बच्चे के पिता ने ये बताया
दरअसल, मंगलवार को मुजफ्फरनगर के रहने वाले इरफान नामक युवक ने अपने नवजात बच्चे को इलाज के लिए मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. इरफान का कहना है कि 7 साल पहले उसकी शादी हुई थी और उसको पहले से तीन बेटियां हैं. अब उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ, लेकिन उसके चार पैर और तीन हाथ हैं.
डॉक्टरों ने कही ये बात
वहीं, लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि ‘बच्चे की पूरी जांच की जा रही है. बच्चे के दो पैर एक्स्ट्रा हैं और एक हाथ भी एक्स्ट्रा है. जांच के बाद ही आगे का इलाज किया जाएगा.’ डॉक्टरों ने आगे कहा कि ‘यह दो बच्चे थे और जुड़े हुए थे जिनमें एक बच्चे के शरीर का विकास नहीं हो पाया तो वह दूसरे के शरीर से जुड़ गया. दूसरे बच्चे का धड़ और सिर नहीं बना. ऐसा बच्चा 50 हजार 60 हजार बच्चों में एक होता है. बच्चे की हालत अभी स्थिर है, लेकिन उसको ऑक्सीजन पर रखा गया है. इसके परिजन चाहेंगे तो इसकी सर्जरी की जाएगी. हालांकि परिवार तैयार है और इलाज के लिए कह रहा है.’
सीएमओ ने क्या बताया?
इस मामले में मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मोहन ने बताया कि ‘बच्चे के चार पैर हैं और तीन हाथ हैं. बच्चे की फिलहाल जांच की जा रही है. यह कोई चमत्कार नहीं है. किसी कमी और डिसऑर्डर की वजह से ऐसा होता है. पहले हम बच्चे की जांच कर रहे हैं और जांच के बाद ही आगे का इलाज किया जाएगा.’
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क्या है इस बीमारी का नाम?
सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन के अनुसार, मेडिकल साइंस में इस बीमारी को कॉन्जेनिटल डिसऑर्डर कहते हैं. यह कभी-कभी कुछ बच्चों में जन्मजात हो जाती है. यह कोई चमत्कार नहीं है.’
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