रामपुर: पिछले 2 दशक से इस स्कूल में नहीं चले हैं पंखे-लाइट, बच्चे और टीचर सब हैं परेशान

आमिर खान

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नजर आती रही है, जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प भी कराया गया है. इन विद्यालयों में लाइट्स और पंखे भी लगवाए गए हैं, फिर भी कुछ विद्यालय विद्युत सप्लाई ना आने के चलते इन सुविधाओं से कोसों दूर नजर आ रहे हैं. कुछ इसी तरह रामपुर जिले का एक ऐसा विद्यालय भी है, जहां पर कई साल पहले पंखे और बल्ब लगवाए गए थे, लेकिन अब तक इन पंखों और बल्ब में करंट नहीं पहुंचा है. इसके चलते गर्मियों के मौसम में यहां के विद्यार्थी परेशान रहते हैं.

रामपुर जिले की तहसील स्वार अंतर्गत ग्राम सेटा खेड़ा में एक सरकारी स्कूल है, जहां पर पढ़ने वाले बच्चों की संख्या अच्छी खासी है. कक्षाओं में पंखे भी लगे हैं और बल्ब भी, लेकिन इन सबके बावजूद यहां पर पढ़ने और पढ़ाने वाले इंसानों ने पिछले दो दशक के लंबे समय से गर्मियों के मौसम में ना ही पंखों को चलते देखा है और ना ही इन बल्ब जलते देखा है. बता दें कि इस विद्यालय का निर्माण साल 1997 में कराया गया था.

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छात्रा हिमांशी के मुताबिक, “इस स्कूल में कभी भी लाइट नहीं आई है और हमें पढ़ने में दिक्कत होती है. पंखे तो लगे हुए हैं, लेकिन लाइट कभी नहीं आई है. हमें चक्कर भी आ जाते हैं, तबीयत वगैरा भी खराब हो जाती है. हम ये चाहते हैं कि हमारे स्कूल में लाइट आए, हम बेहद परेशान हैं.”

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छात्रा भारती ने बताया,

“मैं आठवीं क्लास में पढ़ती हूं, मैं जब से स्कूल में आई हूं तब से लाइट नहीं आई है. हम कहते हैं सर से लेकिन वह कहते हैं यहां पर कभी लाइट नहीं आई है, जैसे हम रह रहे हैं वैसे ही रहो बेटा. जब हम पढ़ते हैं, तो गर्मी लगती है. हम यह चाहते हैं कि यहां पर लाइट आए और पंखे चलें.”

भारती, स्कूल की छात्रा

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स्कूल के टीचर विवेक कुमार बताते हैं, “इस विद्यालय में लाइट की बहुत बड़ी समस्या है. जब से मैं आया हूं तब से तो मैंने लाइट देखी नहीं है. मैं 2009 से हूं यहां पर. बच्चे इसी तरह पढ़ते रहते हैं पसीने में तर होकर. कुछ बच्चों की तबीयत खराब हुई है, स्टाफ की भी तबीयत खराब हो जाती है. हम चाहते हैं कि लाइट आनी चाहिए गर्मियों में, सर्दियों में रोशनी भी कम पड़ जाती है.”

मामले में टीचर मोहम्मद असलम ने बताया,

“मैं सेटा खेड़ा में अध्यापक हूं. 2016 में मेरी यहां पोस्टिंग हुई थी. यहां पर लाइट की व्यवस्था ऐसी है कि लाइट कभी यहां पर आई नहीं है जबकि गवर्नमेंट की तरफ से फिटिंग भी करवा दी गई है. पंखे भी लगे हुए हैं लेकिन कोई आसपास में खंबा नहीं है जिससे कि कनेक्शन हो सके. इलेक्शन के दौरान प्रधान अपना इंतजाम कर देते हैं जनेटर वगैरह का तो, उस टाइम तो कनेक्शन चालू हो जाता है. इसका मेन कारण यह कह सकते हैं कि कनेक्शन के लिए एक ट्रांसफॉर्मर लगाना पड़ेगा.”

मोहम्मद असलम, अध्यापक

प्रिंसिपल इंद्रेश सिंह के मुताबिक, “ये उच्च प्राथमिक विद्यालय सेटा खेड़ा है. 2 साल 2 महीने से ज्यादा हो गए मुझे भी यहां पर आए हुए. मेरे सामने तो कभी लाइट का कुछ नहीं हुआ है. इस स्कूल की स्थापना साल 1997 में हुई है तब से लाइट नहीं है. बच्चों को दिक्कत यह है कि गर्मी से चक्कर आ जाते हैं. लाइट के लिए बिजली विभाग से फोन पर कई बार बात हुई है, वे यह कहते हैं कि तुम्हारे यहां का सिस्टम खंभों का है और ट्रांसफॉर्मर का इसलिए नहीं हो पाता है. हम तो यही चाहते हैं कि बच्चों को सुविधा मिल जाए.”

बीएसए (रामपुर) कल्पना सिंह ने बताया, “यह स्कूल गांव से काफी दूर है, इस कारण यहां बिजली का कनेक्शन नहीं हो पा रहा है, लेकिन मैं अपने उच्च अधिकारियों से बात करके इसका जल्द समाधान करवाती हूं.”

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