माफिया बृजेश सिंह कोर्ट में हुए पेश, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई से खुद को कर लिया अलग

पंकज श्रीवास्तव

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उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया व पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह के मामले की सुनवाई कर रहे जजों की बेंच ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को बृजेश सिंह को अदालत में तलब किया था. जिसके बाद मुकदमे की सुनवाई के लिए पेशी पर माफिया बृजेश सिंह हाईकोर्ट में बुधवार को लाव-लश्कर के साथ पहुंचे.

मुकदमे की सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस डॉ. केजे ठाकर और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया. अन्य पीठ नामित करने के लिए याचिका चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया है. मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल अब दूसरी बेंच गठित करेंगे.

बृजेश सिंह की पेशी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में 36 साल पहले सामूहिक नरसंहार से जुड़े मामले में हुई थी. चंदौली के सिकरौरा गांव में 1986 में ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव उसके दो छोटे भाइयों सियाराम यादव, राम जनम यादव और चार नाबालिग बच्चों मदन 10 वर्ष, उमेश 8 वर्ष, टुनटुन 5 वर्ष व प्रमोद 03 वर्ष की नृशंस हत्या कर दी गई थी.

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बृजेश सिंह को भी 7 लोगों की हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था. ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट ने बृजेश सिंह को इस केस में पहले ही बरी कर दिया है. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ मृतक ग्राम प्रधान राम चंदर यादव की पत्नी हीरावती ने 2018 में अपील दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

जिसमें कोर्ट ने बाहुबली को पेश होने का निर्देश दिया था. हालांकि आज बाहुबली बृजेश सिंह से अदालत में कोई पूछताछ नहीं हुई और अब मामले की अगली सुनवाई चीफ जस्टिस द्वारा गठित नई बेंच में 23 सितंबर को हो सकती है. याची हीरावती की ओर से अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय कोर्ट में पक्ष रखा.

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