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गाजियाबाद में SIR ड्यूटी के दौरान शिक्षक लाल मोहन की मौत, परिवार ने कहा...काम का भारी दबाव ले गया जान

मयंक गौड़

गाजियाबाद के मोदीनगर में बीएलओ ड्यूटी निभा रहे शिक्षक लाल मोहन की अचानक हार्ट अटैक से मौत के बाद शिक्षकों में भारी आक्रोश फैल गया. साथी शिक्षकों का आरोप है कि अत्यधिक प्रशासनिक दबाव और लगातार फॉर्म भरवाने की जिम्मेदारी ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया, जिसके चलते उनकी जान गई.

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक दर्दनाक मामला सामने आया है. यहां के मोदीनगर में एक शिक्षक की अचानक मौत ने शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बीएलओ ड्यूटी में लगे 59 वर्षीय लाल मोहन का अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया. इस दर्दनाक घटना के बाद उनके साथी शिक्षक आक्रोशित हो उठे. शिक्षकों का आरोप है कि लगातार बढ़ते प्रशासनिक दबाव और जिम्मेदारियों के चलते शिक्षक तनाव में थे, जिसकी कीमत लाल मोहन की जान बन गई.

शिक्षक की मौत कैसे हुई

लाल मोहन 59 वर्षीय थे और मोदीनगर के नेहरू नगर कॉलोनी में रहते थे. वह डॉ. केएन मोदी साइंस एंड कॉमर्स इंटर कॉलेज में जीवविज्ञान के शिक्षक थे. तहसील प्रशासन ने उन्हें साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र के वैशाली सेक्टर-1 स्थित मार्डन पब्लिक स्कूल के बूथ संख्या 754 पर बीएलओ की जिम्मेदारी दी थी.

साथी शिक्षकों के अनुसार, रोजाना मोदीनगर से वैशाली तक आने-जाने में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. लगातार फॉर्म भरने और जमा करने का दबाव उनके तनाव को बढ़ा रहा था. शुक्रवार देर रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. परिवार ने दवा देने के बाद उन्हें आराम करने के लिए लिटा दिया, लेकिन रात में तेज सीने में दर्द उठने के बाद उनकी मौत हो गई.

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शिक्षकों ने जताया विरोध

शनिवार सुबह घटना की जानकारी मिलते ही कॉलेज के शिक्षकों ने कैंपस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. शिक्षकों का आरोप था कि मोदीनगर निवासी होने के बावजूद उन्हें साहिबाबाद क्षेत्र में बीएलओ ड्यूटी दे दी गई, जिससे अनावश्यक बोझ बढ़ गया.

साथी शिक्षकों ने कहा कि उन्हें रोजाना 150-200 फॉर्म भरकर जमा करने का दबाव दिया जा रहा था. वह लगातार इलाके में लोगों के घर जाकर फॉर्म जमा करवा रहे थे लेकिन लोग समय पर फॉर्म नहीं दे रहे थे. इसके चलते मानसिक तनाव बढ़ गया और उसी दबाव के कारण उनकी मौत हो गई. शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि बुजुर्ग और बीमार शिक्षकों को भी अत्यधिक ड्यूटी लगाई जा रही है और प्रशासन लगातार उन पर दबाव बना रहा है.

क्या है प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस मामले में उपजिलाधिकारी अजीत सिंह ने परिजनों से मिलकर सांत्वना दी और सभी आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि किसी भी बीएलओ पर अतिरिक्त या अनावश्यक दबाव नहीं डाला जा रहा है.

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