देवरिया: गजब! खुद जिंदा होने का सबूत दे रहा किशोर, दफ्तरों के काट रहा चक्कर, ये है मामला

राम प्रताप सिंह

Deoria News: अभिलेखों में हेराफेरी करके किसी की जमीन को दूसरे के नाम पर कैसे किया जा सकता है, इसका एक ताजा कारनामा देवरिया जिले…

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Deoria News: अभिलेखों में हेराफेरी करके किसी की जमीन को दूसरे के नाम पर कैसे किया जा सकता है, इसका एक ताजा कारनामा देवरिया जिले से सामने आया है. आरोप है कि यहां एक गांव में माता-पिता की मौत के बाद 14 साल के बेटे का नाम परिवार रजिस्टर से गायब कर दिया गया. आरोप है कि इसके बाद दस्तावेजों में हेराफेरी कर ग्राम प्रधान द्वारा जमीनों को अपने नाम से खतौनी में दर्ज करवा लिया गया.

जब यह बात किशोर को पता चली तभी से वह अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा है और तख्ती लिए गांव और दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. किशोर कह रहा है कि “साहब मैं अभी जिंदा हूं”.

आपको बता दें कि जब SDM ने गांव पहुंचकर इस पूरे मामले की जांच की तो प्रकरण सही पाया गया. एसडीएम द्वारा सेक्रेटरी, लेखपाल से इस मामले पर जवाब मांगा गया है. इस मामले में आरोपी प्रधान का कहना है कि उसके परिवार के लोगों ने यह काम किया है.

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ये है मामला

बता दें कि भटनी क्षेत्र के गांव पिपरा देवराज निवासी राम अशीष सिंह की कई सालों से सेहत खराब थी. उनके साथ उनकी पत्नी और अकेले 14 वर्षीय बेटा विजय प्रताप सिंह रहते थे. 2021 को पत्नी की मौत हो गई. घर में दिक्कतों को देखते हुए राम अशीष अपने बेटे को लेकर अपने मामा के घर चले गए और वहीं रहने लगे. बीमारी से जूझ रहे राम अशीष ने भी 6 महीने बाद दम तोड़ दिया.

मिली जानकारी के मुताबिक, आरोप है कि ग्राम प्रधान अवधेश सिंह ने ग्राम पंचायत सेक्रेटरी से मिलीभगत कर परिवार रजिस्टर से राम अशीष और उनके बेटे विजय प्रताप का नाम लिखा हुआ पन्ना ही गायब करवा दिया. उसके बाद लेखपाल और कानूनगों की मिलीभगत से जमीन अपने और अपने भाइयों के नाम दर्ज करवा ली.

बता दें कि जब किशोर विजय प्रताप पिता की मृत्यु के बाद वरासत में अपना नाम चढ़ाने के लिए लेखपाल के पास पहुंचा तो उसे बताया गया कि अभी वह नाबालिग है इसलिए नाम नहीं चढ़ सकता, इसलिए वह लौट कर घर चला आया. जब विजय प्रताप को अपने जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी तो वह 14 दिसंबर को सेक्रेटरी के पास परिवार रजिस्टर की नकल लेने पहुंचा तो पता चला कि परिवार रजिस्टर से उसका नाम ही गायब है.

SDM ने गांव आकर की जांच

इस मामले के सामने आते ही पीड़ित किशोर ने BDO को मामले की जानकारी दी. इसके बाद तहसीलदार और SDM को जानकारी दी गई. 25 दिसंबर को SDM सलेमपुर गांव में जांच करने पहुंचे तो लगभग 400 गांव वालों ने विजय प्रताप के पक्ष में गवाही दी. बताया जा रहा है कि जब SDM ने अभिलेखों को देखा तो मामला सहीं पाया गया.

इसके बाद से अभी तक न तो पीड़ित का नाम रजिस्टर में दर्ज हुआ है और ना ही जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. अब पीड़ित तख्ती लेकर घुम रहा है, जिसपर लिखा है कि “साहब मैं अभी जिंदा हूं”.

इस मामले में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि, “तहसील सलेमपुर में एक गांव है पिपरा देवराज वहां पर एक किसान राम अशीष की मौत हो गई थी. उनकी वरासत उनके परिवारी-जनों में होनी चाहिए थी, लेकिन कुछ लोगों ने कुछ अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके वरासत गलत तरीके से दर्ज करा ली है. मामले की जांच की जा रही है. जांच एसडीएम सलेमपुर स्वयं कर रहे हैं. जांच में कुछ तथ्य ऐसे सामने आए हैं, जिसमें प्रथम दृष्टया यह साफ हुआ है की कुछ गलतियां हुई हैं. इसको देखते हुए वहां जो लेखपाल थे उनको सस्पेंड किया गया है. बाकी कार्रवाई कर रहे हैं. वरासत यानी जमीन सही नाम पर करने के लिए तहसीलदार कोर्ट में धारा 34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया गया है.”

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