कौशांबी में नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य पहुंचे कंबल मांगने, मोबाइल चलाते रहे तहसीलदार और कही ये अटपटी बात
कौशांबी में नेत्रहीन बुजुर्ग की तहसीलदार से कंबल की गुहार का वीडियो वायरल. अधिकारी की लापरवाही पर जनता ने सवाल उठाए.
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Kaushambi News: ठंड की कड़ाके भरी रातों में जब हर कोई गर्म कपड़ों और कंबलों की तलाश में होता है, तब एक नेत्रहीन बुजुर्ग की करुण पुकार ने कौशांबी के प्रशासनिक तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया. लवकुश मौर्य नामक नेत्रहीन बुजुर्ग जो अपनी बेबसी में एक कंबल की आस लगाए तहसीलदार के पास पहुंचे, उनकी मदद की पुकार मोबाइल में व्यस्त अधिकारी के कानों तक नहीं पहुंच पाई. इस घटना ने न केवल सामाजिक संवेदनाओं को झकझोर दिया बल्कि सिस्टम की बेरुखी को भी उजागर किया. वायरल हो रहे इस वीडियो ने आम जनता के मन में कई सवाल पैदा कर दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में सिराथू तहसील के समाधान दिवस के दौरान एक शर्मनाक घटना सामने आई है. नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य अपने साथी के साथ तहसीलदार अनंत राम जायसवाल से ठंड से बचने के लिए कंबल की गुहार लगाने पहुंचे थे. ठंड से कांपते लवकुश ने मदद की उम्मीद से तहसीलदार से बात की, लेकिन अधिकारी मोबाइल में व्यस्त रहे और कंबल खत्म होने का बहाना बनाकर उनकी फरियाद अनसुनी कर दी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है.
वायरल वीडियो में लवकुश मौर्य ने क्या कहा?
वायरल वीडियो में लवकुश मौर्य ने तहसीलदार से कहा, 'हम अंधे हैं, दोनों आंखें खराब हैं, सौ परसेंट अंधे हैं, हमारे कागज देख लीजिए, हमको कंबल चाहिए साहेब.' तहसीलदार ने जवाब दिया, 'तो अभी तक आपको कंबल नहीं मिला?' लवकुश ने कहा, 'अभी कहां साहेब, लेने ही नहीं आए. जाड़े के मारे हिम्मत ही न पड़ रही.' फिर तहसीलदार ने कहा कि 250 कंबल बंट चुके हैं और बाकी नहीं हैं, लेकिन जब कंबल आएंगे तो देंगे, लेकिन इस दौरान लवकुश की परेशानियों की कोई परवाह नहीं की गई.
वीडियो में लवकुश मौर्य बार-बार कंबल की मांग करते हुए कहते हैं, 'साहेब, हम बहुत परेशान हैं, जाड़े में हमें कंबल चाहिए, हमारी मदद करें.' लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मोबाइल पर लगे रहे और मामले को टालते रहे. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने अफसरों की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं और अधिकारियों से जवाब मांगा है.
वहीं, जब इस मामले में तहसीलदार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल नेटवर्क क्षेत्र से बाहर था, जिससे उनकी जवाबदेही पर और भी सवाल उठ रहे हैं. इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी और जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता को उजागर किया है.