आगरा: पति से बिछड़ने के 8 साल बाद मिली पत्नी, ये बिछड़न-तलाश-इंतजार-मिलन की भावुक कहानी है

अरविंद शर्मा

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Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में पति-पत्नी जब सामने आए तो दोनों की आंखों से आंसू छलक उठे. दोनों की जुबान तो खामोश थी, लेकिन आंखों से लगातार निकल रहे आंसू जज्बात बयान कर रहे थे. आपको बता दें कि ये सब कुछ आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में हुआ है. कहानी आठ साल से भी ज्यादा पुरानी है. कहानी में हिंदी फिल्मों की तरह मिलना, बिछड़ना, तलाश और आठ साल के लंबे इंतजार के बाद पति पत्नी का आमना-सामना होता है. दोनों की रियल स्टोरी में चल रहे सस्पेंस की हैप्पी एंडिंग होती है.

साल 2015 के बाद ये सब हुआ

आपको बता दें कि साल 2015 में उत्तर प्रदेश का जिला गोरखपुर के बॉर्डर वीरगंज की रहने वालीं गायत्री अपने परिवार से बिछड़ गई थीं. गायत्री के पति नवल किशोर ने थाने में पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. पुलिस को साथ लेकर जगह जगह पत्नी की तलाश की. समय बीतता रहा और तलाश का सिलसिला जारी रहा. गायत्री अपनों से बिछड़कर मथुरा के नारी निकेतन शरणालय में पहुंच गई थीं. गायत्री की मानसिक स्थिति ठीक नहीं लगी तो पुलिस ने उन्हें आगरा के मानसिक चिकित्सा संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती करा दिया.

पति नवल किशोर और चार बच्चे साल दर साल मां के मिलने का इंतजार कर रहे थे. मगर परिवार की जानकारी से इतर घर से 812 किलोमीटर दूर आगरा में आठ साल तक गायत्री का दिमागी इलाज चलता रहा. दिमागी बीमारी शिजोफ्रेनिया का लंबे समय तक इलाज चलने के बाद जब गायत्री को राहत मिली तो उन्हें अपने घर, परिवार, पति और बच्चों की आधी अधूरी याद आ गई. गायत्री ने फीमेल वॉर्ड इंचार्ज को टूटा-फूटा आधा-अधूरा घर का पता कई मर्तबा में बताया. गायत्री के बताए गए पते पर चिकित्सालय ने पत्र भेजना शुरू कर दिया.

शुरुआत में पत्रों का जवाब नहीं आया लेकिन 1 दिन गायत्री खुशी से उछल गईं, जब उन्हें पता लगा कि उनके घर से अस्पताल की चिट्ठी का जवाब आ गया है. फिर एक दिन पति नवल आगरा स्थित मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और चिकित्सालय में पत्नी गायत्री से मिलने और उन्हें लेने आ गए. नवल का लंबी जुदाई के बाद गायत्री से आमना सामना हुआ. दोनो एक दूसरे के सामने पहुंचे तो मिलन की इस घड़ी में मारे खुशी के दोनों की आंखों से आंसू निकल पड़े.

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बातचीत के बाद नवल किशोर पत्नी गायत्री को अपने साथ घर ले गए. अब आठ साल बाद गायत्री अपने परिवार के साथ हैं. निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि चिकित्सालय में 2015 से महिला का इलाज चल रहा था. अब महिला अपने परिवार के साथ है.

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