‘सौगंध राम की खाते हैं…’, जानें इस पंक्ति का दिलचस्प इतिहास जो बना राम मंदिर आंदोलन का नारा
इस आंदोलन के दौरान या बाद में कई सालों तक एक पंक्ति आपने हमेशा सुनी होगी. “सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे”. भाजपा समेत हिंदूवादी संगठन और रामभक्त इस पंक्ति को हमेशा इस्तेमाल करते थे. मगर क्या आप इस पंक्ति का इतिहास जानते हैं?
ADVERTISEMENT
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में देशभर के लोगों ने भाग लिया. रामभक्तों ने अपने-अपने तरीकों से इस आंदोलन में भूमिका निभाई. कारसेवा और साहित्यिक रूप से भी इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया गया. इस आंदोलन के दौरान या बाद में कई सालों तक एक पंक्ति आपने हमेशा सुनी होगी. “सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे”. भाजपा समेत हिंदूवादी संगठन और रामभक्त इस पंक्ति को हमेशा इस्तेमाल करते थे. मगर क्या आप इस पंक्ति का इतिहास जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि ये पंक्ति किसने और कब लिखी थी? आज जब अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है और आने वाली 22 जनवरी के दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हो रहा है तो हम आपको इस पंक्ति के लेखक के बारे में भी जानकारी देने जा रहे हैं.
“सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे” ये पंक्ति राम मंदिर आंदोलन का नारा बन गई थी. वीर रस से ओतप्रोत ये पंक्ति को गाकर ही रामभक्त आगे बढ़ते थे और अपने आंदोलन को आगे बढ़ाते थे. बता दें कि ये पंक्ति उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की तहसील जलालाबाद में रहने वाले कवि विष्णु गुप्ता ने लिखी थी. आज जब सौगंध पूरी हो रही है और मंदिर का निर्माण हो रहा है तो विष्णु गुप्ता इस संसार में मौजूद नहीं हैं. मगर उनके परिवार को 22 जनवरी के दिन अयोध्या आने का निमंत्रण मिला है.
यूं बन गई आंदोलन का नारा
जलालाबाद के रहने वाले कवि विष्णु गुप्ता के बेटे अजय गुप्ता ने बताया, पिता कवि विष्णु गुप्त 6 दिसंबर 1992 को जलालाबाद में एक काव्य गोष्ठी में शामिल होकर काव्य पाठ कर रहे थे. इस दौरान अचानक से सूचना आई कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया गया है. मुख्य अतिथि एसडीएम तुरंत अपने वाहन की ओर लपके. दूसरी ओर मंच से हुंकार हुई “सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे”. ये पंक्ति पिता के मुंह से अचानक निकली और ये लाइन मंदिर आंदोलन का नारा बन गई.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
रात में ही लिखा पूरा गीत
अजय गुप्ता ने आगे बताया, पिता रात में घर आए और पूरी रात उन्होंने ये गीत लिखा. उन्होंने अपने इस गीत को और श्री राम पर लिखी अन्य रचनाओं को अपनी पुस्तक सौगंध में संकलित किया. साल 1994 में मुंबई से आए गीतकार ने इस गीत को लय बध्य तरीके से गाकर इसकी ऑडियो कैसेट भी रिलीज की थी. साल 2014 में कवि विष्णु गुप्ता का निधन हो गया लेकिन अब उनका परिवार उनकी सौगंध को पूरा होता देख रहा है.
अब विष्णु गुप्ता के परिवार को मंदिर ट्रस्ट ने अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने का न्योता दिया है. परिवार का कहना है कि वह सभी 22 जनवरी के दिन अयोध्या जाएंगे और अपने पिता समेत लाखों-करोड़ों राम भक्तों की सौगंध को पूरा होते देखेंगे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT