बीजेपी ने बलिया से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटा, नीरज शेखर को बनाया कैंडिडेट
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी नई लिस्ट का ऐलान किया है. बीजेपी की इस लिस्ट में यूपी की 7 लोकसभा सीटों के लिए कैंडिडेट के नाम दिए गए हैं.
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी नई लिस्ट का ऐलान किया है. बीजेपी की इस लिस्ट में यूपी की 7 लोकसभा सीटों के लिए कैंडिडेट के नाम दिए गए हैं. इनमें एक सीट बलिया की भी है, जिसकी बेहद प्रतिक्षा की जा रही थी. जैसी चर्चा थी बीजेपी ने लगभग वैसा ही किया है. इस सीट पर बीजेपी ने वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया है. यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा गया है.
कौन हैं नीरज शेखर?
नीरज शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे पुत्र हैं. नीरज शेखर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया है. इनकी पत्नी का नाम डाक्टर सुषमा शेखर है. इनकी राजनीति की शुरुआत समाजवादी पार्टी से हुई है. 2007 में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के निधन के बाद हुए खाली हुई बलिया पर हुए उप चुनाव में नीरज शेखर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और जीत कर पहली बार सांसद बने थे. 2009 में हुए लोकसभा आम चुनाव में नीरज शेखर एक फिर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और चुनाव जीतकर दूसरी बार सांसद बने.
2014 के चुनाव में भी नीरज शेखर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के प्रत्याशी भरत सिंह से हार का सामना करना पड़ा. 2014 में हार के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया. 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर को प्रत्याशी नहीं बनाया जिससे नाराज होकर उन्होंने राजयसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर ली. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया. तब से लेकर अभी तक नीरज शेखर बीजेपी से राज्यसभा के सांसद हैं. इस बार बीजेपी ने उन पर दांव लगाया है और बलिया लोकसभा से प्रत्याशी घोषित किया है.
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जाति के हिसाब से देखें तो टिकट काटने के बावजूद बीजेपी ने बलिया में राजपूत वोटों के समीकरण का ख्याल रखा है. वीरेंद्र सिंह मस्त और नीरज शेखर, दोनों ही राजपूत बिरादरी से आते हैं. बलिया लोकसभा सीट पर राजपूतों के साथ भूमिहार और ब्राह्मण वोट भी प्रमुखता में हैं. पिछले कुछ दिनों से बीजेपी को पश्चिमी यूपी में राजपूतों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में कम से कम बलिया सीट पर बीजेपी ने राजपूत समीकरण को ध्यान में रखकर फैसला लेने का काम किया है.
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