गैंगस्टर का असली नाम तो था संजीव माहेश्वरी, ये जीवा कहां से आया? कहानी है इंट्रेस्टिंग
Sanjeev Jiva News: गैंगस्टर और नेता मुख्तार अंसारी के सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा (48) की बुधवार को लखनऊ की एक अदालत परिसर के…
ADVERTISEMENT
Sanjeev Jiva News: गैंगस्टर और नेता मुख्तार अंसारी के सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा (48) की बुधवार को लखनऊ की एक अदालत परिसर के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई. आपको बता दें कि जेल में बंद संजीव जीवा को एक मामले में सुनवाई के लिए अदालत लाया गया था और इसी दौरान यह घटना घटी. क्या आपके मन में ये सवाल आया है कि आखिर संजीव माहेश्वरी अपने नाम के आगे जीवा क्यों लगाता था? इसकी कहानी काफी रोचक है.
मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पत्रकार राशिद खान ने जिले के लोगों से सुनी कहानी के अनुसार बताया, “1986 में संजय दत्त की फिल्म जीवा रिलिज हुई थी. इस मूवी से प्रभावित होकर अपराध की दुनिया के बेखौफ बदमाश संजीव माहेश्वरी ने अपने नाम के पोछे जीवा लगा लिया था. बस फिर क्या था तभी से संजीव माहेश्वरी संजीव जीवा बन बैठा था.”
सपा नेता प्रमोद त्यागी के अनुसार, संजीव जीवा के पिता ओमप्रकश महेश्वरी शामली जनपद के अपने आदमपुर गांव को छोड़कर वर्ष 1986 में मुजफ्फरनगर आ बसे थे. यहां पर उन्होंने शहर कोतवाली क्षेत्र के प्रेमपुरी मौहल्ले में एक मकान लेकर पशु दुग्ध डेयरी का व्यवसाय शुरू किया था. सजीव जीवा भी इंटर की पढ़ाई पूरी कर अपने पिता के साथ डेयरी पर मदद करने लगा.
साल 1995 में जीवा पर दर्ज हुआ था पहला केस
प्रमोद त्यागी के अनुसार, वर्ष 1995 में पहली बार मुजफ्फरनगर के थाना सिविल लाइन में आईपीसी की धारा 302 का मुकदमा संजीव जीवा के विरुद्ध दर्ज किया गया था. इसके बाद संजीव जीवा ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और देखते ही देखते अपराध की दुनिया का ये बेताज बादशाह बन बैठा. लूट,चोरी, अपहरण, हत्या, फिरौती, व्यापारियों से रंगदारी वसूलने के साथ संजीव जीवा करोड़ों रुपये की विवादित सम्पत्तियों का मालिक बन बैठा.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT