नोएडा या लखनऊ में से किस शहर की जमीन अगले 5 साल में हो जाएगी ज्यादा महंगी
Land Price News: नोएडा बनाम लखनऊ: 2025-2030 में किस शहर की जमीन होगी महंगी? जानें उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर, और विशेषज्ञों की राय.
ADVERTISEMENT

UP News: उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख शहरों, नोएडा और लखनऊ, में रियल एस्टेट बाजार तेजी से बदल रहा है. दोनों शहर अपने-अपने तरीके से निवेशकों और घर खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि अगले पांच साल (2025-2030) में इनमें से किस शहर की जमीन के दाम ज्यादा ऊंचाई छुएंगे? आइए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और मौजूदा ट्रेंड्स के आधार पर हम इसकी पड़ताल करते हैं.
नोएडा: एनसीआर का रियल एस्टेट हब
नोएडा और ग्रेटर नोएडा पिछले कुछ सालों से रियल एस्टेट के बड़े केंद्र बन चुके हैं. जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मेट्रो कनेक्टिविटी का विस्तार, और सेमीकंडक्टर प्लांट जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स इस क्षेत्र को निवेश का हॉटस्पॉट बना रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर से नजदीकी और तेजी से बढ़ता शहरीकरण नोएडा को एक खास बढ़त देता है.
पिछले 5 सालों (2020-2024) में नोएडा में प्रॉपर्टी की कीमतों में लगभग 88% की वृद्धि देखी गई है. नोएडा एक्सप्रेसवे पर 2019 में जहां जमीन की कीमत 5,075 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 8,400 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. जेवर में भी कीमतें 5,000 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक जेवर की कीमतें 10,500 रुपये प्रति वर्ग फुट तक जा सकती हैं, जो मौजूदा कीमत से 50-60% की बढ़ोतरी होगी.
यह भी पढ़ें...
नोएडा में सर्कल रेट में प्रस्तावित 20-30% की बढ़ोतरी और न्यू नोएडा मास्टर प्लान 2041 जैसे प्रोजेक्ट्स भी कीमतों को और ऊपर ले जाएंगे. इसके अलावा, औद्योगिक विकास, फिल्म सिटी, और आईटी हब जैसे प्रोजेक्ट्स नोएडा को निवेशकों के लिए और आकर्षक बना रहे हैं. हालांकि, सीमित जमीन की उपलब्धता और बढ़ती मांग की वजह से कीमतों में तेज उछाल की संभावना है.
लखनऊ: उभरता हुआ निवेश का केंद्र
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के नाते, एक संतुलित विकास का प्रतीक है. पिछले कुछ सालों में यहां इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश हुआ है, जिसमें चारबाग रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण, लखनऊ मेट्रो का विस्तार, और गोमती नगर में नए कमर्शियल प्रोजेक्ट्स शामिल हैं. इसके अलावा, अयोध्या के नजदीक होने की वजह से लखनऊ में पर्यटन और धार्मिक महत्व से जुड़े निवेश भी बढ़ रहे हैं.
लखनऊ में जमीन की कीमतें नोएडा की तुलना में अभी कम हैं. 2024 में गोमती नगर जैसे प्राइम इलाकों में कीमतें औसतन 4,000-6,000 रुपये प्रति वर्ग फुट हैं. पिछले 5 सालों में यहां कीमतों में 30-40% की बढ़ोतरी हुई है, जो नोएडा से कम है, लेकिन स्थिर और टिकाऊ है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 5 साल में लखनऊ में 8-10% की सालाना वृद्धि दर संभव है, जिससे 2030 तक कीमतें 8,000-10,000 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच सकती हैं.
लखनऊ की खासियत यह है कि यहां जमीन की उपलब्धता नोएडा से ज्यादा है, जिससे कीमतों में अचानक उछाल की संभावना कम है. साथ ही, टियर-2 शहर के रूप में इसका विकास, सरकारी नीतियां, और बढ़ती आबादी इसे लंबे समय के निवेश के लिए आकर्षक बनाती है.
तुलना और भविष्यवाणी
वृद्धि दर: नोएडा में पिछले ट्रेंड्स और बड़े प्रोजेक्ट्स को देखते हुए अगले 5 साल में 50-60% की वृद्धि संभव है, जबकि लखनऊ में यह 40-50% रह सकती है.
मौजूदा कीमतें: नोएडा की कीमतें पहले से ही लखनऊ से ज्यादा हैं, जिससे इसका आधार मूल्य ऊंचा है.
मांग और आपूर्ति: नोएडा में जमीन की कमी और एनआरआई/एचएनआई निवेशकों की रुचि कीमतों को तेजी से बढ़ा सकती है, जबकि लखनऊ में मांग स्थिर लेकिन धीमी है.
इंफ्रास्ट्रक्चर: नोएडा के बड़े प्रोजेक्ट्स (जैसे जेवर एयरपोर्ट) इसे लखनऊ से आगे रखते हैं, लेकिन लखनऊ का संतुलित विकास भी कम प्रभावशाली नहीं है.
निष्कर्ष: नोएडा आगे, लेकिन लखनऊ भी पीछे नहीं
रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 5 साल में नोएडा की जमीन के दाम लखनऊ की तुलना में ज्यादा बढ़ने की संभावना है. जेवर एयरपोर्ट के 2025 में शुरू होने और औद्योगिक विकास की रफ्तार को देखते हुए नोएडा में निवेशकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है. दूसरी ओर, लखनऊ एक किफायती और स्थिर विकल्प बना रहेगा, जो मध्यम वर्ग और लंबी अवधि के निवेशकों को आकर्षित करेगा.
अगर आप तुरंत मुनाफा चाहते हैं, तो नोएडा बेहतर है. लेकिन अगर आप किफायती दामों पर भविष्य के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो लखनऊ भी एक शानदार मौका देता है. दोनों शहरों का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन नोएडा की रफ्तार इसे थोड़ा आगे ले जाती है.